माता-पिता का उत्पीड़न करने वाला बेटा घर से निकाला जाएगा बाहर, एसडीएम कोर्ट ने दिया आदेश
बच्चों की परविरश में माता-पिता अपनी खुशियों को कुर्बान कर देते हैं लेकिन जब वही बेटा बड़ा होकर बुढ़ापे की लाठी बनने की बजाए बेइज्जती करता है तो दिल आहत हो जाता है। ऐसे हालातों में मां-पिता उन पलों को याद करते हैं जो उन्होंने अपने बेटे पर लुटाए होते हैं।
कानपुर, अमन यात्रा । बच्चों की परविरश में माता-पिता अपनी खुशियों को कुर्बान कर देते हैं लेकिन जब वही बेटा बड़ा होकर बुढ़ापे की लाठी बनने की बजाए बेइज्जती करता है तो दिल आहत हो जाता है। ऐसे हालातों में मां-पिता उन पलों को याद करते हैं जो उन्होंने अपने बेटे पर लुटाए होते हैं। इतना ही नहीं दिल को कठोर करके मां-पिता हमेशा कलेजे से चिपका रखने वाले उस बेटे को दूर करने की ठान लेते हैं। ऐसा ही मामला बिधनू में रहने वाले रक्षा मंत्रालय से सेवानिवृत्त बुजुर्ग का सामने आया है। कोर्ट ने उत्पीड़न करने वाले बेटे को घर से बेदखल करने का आदेश सुनाया है।
रक्षा मंत्रालय से सेवानिवृत्त ब्रह्मादीन द्वारा एसडीएम कोर्ट में बेटे के विरुद्ध दायर उत्पीडऩ के वाद के मामले में न्यायालय ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने बिल्हौर तहसील में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर तैनात उनके पुत्र मनोज कुमार से कहा है कि वह माता पिता की इच्छा के विरुद्ध उनके मकान में नहीं रह सकते। साथ ही माता पिता के साथ दुव्र्यवहार करने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। एसओ बिधनू को आदेश का पालन सुनिश्चित करने को कहा है। बिधनू के जुगइया रोड गोपाल नगर निवासी ब्रह्मादीन और उनकी पत्नी बसंती देवी ने एसडीएम कोर्ट में माता-पिता व वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण अधिनियम 2007 के तहत वाद प्रस्तुत किया था।
पहले भी आ चुके हैं मामले
केस-1 : चकेरी के जेके कॉलोनी निवासी गुलाब चंद्र सेवानिवृत्त एयरफोर्स कर्मी है। उन्होंने बताया कि पत्नी की मौत के बाद वह बच्चों को सहारे थे। उन्होंने अपनी संपत्ति से एक मकान बेटे को और एक बेटी को दे दिया। बेटे ने अपने मकान को किराए पर उठा दिया। उसके बाद बेटा-बहू के साथ उनके मकान में आकर रहने लगा। इस बीच बेटे ने मकान में कब्जा कर लिया। साथ ही उन्हें मारपीट कर घर से निकाल दिया जिसके बाद उन्होंने एसडीएम सदर से मामले की शिकायत की।
केस-2 : बेटे-बहू से प्रताड़ित होकर बाबूपुरवा के नयापुरवा में रहने वाले 69 वर्षीय बुजुर्ग अख्तर हुसैन ने भी एसडीएम सदर की कोर्ट में वरिष्ठ नागरिकों की जीवन सुरक्षा एवं भरण पोषण अधिनियम 2007 के तहत वाद दाखिल किया है। उनका आरोप है कि बेटा उन्हें और पत्नी को प्रताड़ित करता है। पत्नी के मधुमेह के इलाज के लिए भी पैसा भी नहीं देता। इस मामले में भी एसडीएम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि माता- पिता ख्याल रखेंगे और प्रताड़ित नहीं करेंगे। बेटा भरण पोषण के लिए उन्हें हर माह दो हजार रुपये की आर्थिक मदद करेगा। दूसरा बेटा भी दो हजार रुपये प्रतिमाह देगा।