गोबर से बन रहीं गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमाएं, मिट्टी के दीपक से आएगा समृद्धि का प्रकाश; लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर में दिया जा रहा प्रशिक्षण
उल्लास और लक्ष्मी की कृपा पाने के दीपोत्सव को लेकर अभी से ही तैयारियां शुरू हो गई हैं। चार नवंबर को होने वाली दीपावली को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। कुम्हार के चाक वा मिट्टी के दीपक बन रहे हैं तो महिलाएं गोबर के दीपक और श्री गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमाएं बनाने में जुटीं हैं। दीपावली पर आप महिलाओं के बने उत्पादों को खरीदकर उनके जीवन में भी समृद्धि का उजाला कर सकते हें।

लखनऊ, अमन यात्रा । उल्लास और लक्ष्मी की कृपा पाने के दीपोत्सव को लेकर अभी से ही तैयारियां शुरू हो गई हैं। चार नवंबर को होने वाली दीपावली को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। कुम्हार के चाक वा मिट्टी के दीपक बन रहे हैं तो महिलाएं गोबर के दीपक और श्री गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमाएं बनाने में जुटीं हैं। दीपावली पर आप महिलाओं के बने उत्पादों को खरीदकर उनके जीवन में भी समृद्धि का उजाला कर सकते हें। गाय के गोबर से बने दीपकों की रोशनी से हजारों महिलाओं के जीवन में समृद्धि का उजाला लाने में आप मदद कर सकते हैं। लखनऊ के कान्हां उपवन और गोपेश्वर गौशाला में निर्माण युद्ध स्तर पर चल रहा है। मनकामेश्वर मंदिर परिसर में दीपक बनाने के प्रशिक्षण की तैयारी चल रही है।
मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि के सानिध्य में मनकामेश्वर उपवन घाट पर शरद पूर्णिमा पर प्रतीक स्वरूप दीपक जलाए जाएंगे। गोबर के दीपकों का प्रयोग करके महंत ने गोरक्षा के साथ ही महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की पहल की है। महिलाएं मंदिर में गोबर के दीपक बनाएंगी। कान्हां उपवन में सिटिजन फाउंडेशन की शालिनी सिंह की ओर कृष्णानगर के भवगती विहार में प्रशिक्षण के साथ ही महिलाओं को रोजगार दिया जा रहा है। गोबर के दीपक ही नहीं श्री गणेश लक्ष्मी की मूर्ति, बंदनवार, ॐ व स्वास्तिक का निर्माण भी दीपावली के लिए खास तौर पर किया जा रहा है। बंगलाबाजार में श्रीराम जानकी ठाकुद्वारा के पास गोबर से बने उत्पाद की बिक्री का पहला स्टाल लगा है। प्रसून गुप्ता ने बताया कि गोसेवा आप किसी रूप में कर सकते हैं। मुझे लगा कि मैं गोबर के उत्पाद से बने दीपक बेचकर यह प्रयास कर सकता हूं। मलिहाबाद के गोपेश्वर गौशाला प्रबंधक उमाकांत ने बताया कि गौशाला में करीब 150 महिलाएं गोबर से जैसे दीपक, हवन के लिए लकड़ी सहित अन्य उत्पाद बना रही हैं। अवध प्रांत के आठ जिलों में 200 समूहों में दो हजार महिलाएं इस काम को कर रहीं है। मोमबत्ती व चाइनीज झालरों के स्थान पर समाज के लोग गो आधारित उत्पादों का प्रयोग करके महिलाओं के जीवन को संवार सकते हैं।
Discover more from अमन यात्रा
Subscribe to get the latest posts sent to your email.