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दुबई में मुस्लिम प्रेमी नामदान लेकर रूहानी दौलत पाके बोला यहां जाति मजहब धर्म की नहीं, रूहानी इबादत की है बात
मुरादाबाद उ.प्र. में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि पांच नाम आपको बताऊंगा जिसको नामदान कहते हैं। नामदान देना दुनिया का सबसे कठिन काम है।
- दिव्य दृष्टि तीसरी आंख खोलने का वह नाम बताऊंगा जिससे अपनी रूह जीवात्मा की, प्रभु खुदा की हो जायेगी पहचान
- भगवान, अल्लाहतआला ने कोई कौम कौमियत जाति धर्म नहीं बनाया, उसने तो इंसान बनाया
मुरादाबाद (उ.प्र.) : विश्व विख्यात निजधामवासी सन्त बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, जीते जी प्रभु खुदा भगवान से मिलने और मुक्ति-मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग नामदान देने के इस समय धरती पर एकमात्र अधिकारी, पल-पल पर अपने अपनाये भक्तों की संभाल करने वाले मुर्शिद ए कामिल त्रिकालदर्शी दुःखहर्ता परम दयालु सन्त सतगुरु उज्जैन के बाबा उमाकान्त जी ने 23 जून 2022 को मुरादाबाद उ.प्र. में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि पांच नाम आपको बताऊंगा जिसको नामदान कहते हैं। नामदान देना दुनिया का सबसे कठिन काम है। घबरा रहा था। गुरु महाराज मेरे लिए पहले भी कह कर गए थे, मुझको खड़ा करके लोगों को दिखाया था, मंच से बोले थे कि पुरानों की संभाल करेंगे और नयों को नामदान देंगे। आप जो पुराने लोग हो आपको मालूम है। लेकिन जब वो दुनिया से चले गए तो हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था नामदान देने के लिए। लेकिन गुरु महाराज का फिर आदेश हो गया। जब आदेश हो जाता है तो उसमें दया हो जाती है।
जब कोशिश ही नहीं करोगे तो कैसे करेंगे गुरु मदद
जैसे अपने बच्चे को आदेश देते हो कि उठा ले यह सामान और चल। जब वो लेकर नहीं चल पाता तो आप उठा लेते हो। लेकिन जब वो उठा कर चलेगा ही नहीं तो कैसे आप मदद करोगे। गुरु के आदेश का पालन करना चाहिए। तो मैंने आदेश का पालन किया, लोगों को नामदान देना शुरू किया। जहां भी जाता हूं, सब जगह नामदान देता ही देता हूं।
दिल्ली में आयोजित शाकाहारी सम्मेलन में 32 देशों से आये लोगों को नामदान दिया
विदेशों में 15-16 देशों में गया, समय परिस्थिति के अनुसार नामदान देकर आया। गुरु महाराज का फोटो 32 से ज्यादा देशों में लग गया है। 32 देश का तो रिकॉर्ड था। कुछ साल पहले दिल्ली में शाकाहारी सम्मेलन हुआ था जिसमें इन देशों से लोग आए थे। अभी मई 2022 में गुरु महाराज के भंडारा कार्यक्रम में विदेशों से काफी लोग आए थे। वहां भी नामदान दिया। थोड़े लोगों में भी दे देता हूं क्योंकि अभी जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है। घर से बाहर निकले, कोई जरूरी नहीं है कि दो घण्टे के बाद ठीक-ठाक घर में वापस आ जाएग।
भगवान, अल्लाहतआला ने कोई कौम कौमियत नहीं इंसान बनाया, इसे समझने और बताये अनुसार करने पर होता है फायदा
देखो इस चीज को जब लोग समझ जाते हैं तब करने लगते हैं। बहुत से लोग कौम-समाज के डर से प्रदर्शित नहीं करते, दिखावा नहीं करते हैं, नहीं आते-जाते लेकिन करते हैं। जब यकीन विश्वास करके करते हैं तब सबको फायदा होता है। यह इंसान और इंसानियत वाली चीज है, कोई कौम-कौमियत वाली चीज नहीं है। देखो जिसे भगवान अल्लाहतआला पाक परवरदिगार कहते हो उसने कोई कौम-कौमियत नहीं बनाया। उसने तो इंसान बनाया। सबकी एक जैसी हड्डी खून मांस आंख कान नाक मुंह टट्टी पेशाब का रास्ता सबका एक जैसा है।
छोटे बच्चे का धर्म नहीं पहचान सकते, ये सब भेदभाव तो यहां है, उस मालिक के यहां नहीं
देखो छोटे बच्चे को कोई पहचान नहीं सकता है कि हिंदू मुसलमान सिक्ख ईसाई, किसका बच्चा है। उसके (मालिक के) सांचे का कोई रंग नहीं है। जैसा है वैसा ही है। रंग बिरंगा तो यहां हो जाता है। पहाड़ों ठंडी जगहों पर रहने वालों को धूप कम लगने से चमड़ी साफ जिसे गोरा कहते हो और ज्यादा धूप वाली जगहों पर रहने वालों की काली हो जाती है। जलवायु के अनुसार रंग रूप होता है, आंख-कान बनता है, वैसा असर पड़ता है। ये सब यहां की व्यवस्था है, उसके प्रभु की तरफ से ऐसी व्यवस्था नहीं है।
दुबई में इस्लाम धर्म के प्रेमी ने नामदान लेकर रूहानी इबादत किया तो बोला यहां जाति मजहब धर्म की नहीं केवल रूहानी इबादत की बात है
सबके अंदर एक जैसी ही जीवात्मा है। उसने तो इंसान बनाया। विदेशों में रहने वालों को जब बताया गया, उन्होंने जब किया तो उनको फायदा हो रहा है। कुछ दिन पहले जब मैं दुबई सतसंग व नामदान कार्यक्रम के लिए गया था, वहां इस्लाम धर्म मानने वाले एक आदमी ने नामदान लिया। उसने जब नसीरा यानी अभ्यास किया, रूहानी-दौलत जब उसको मिली और खबर जब लगी कि उज्जैन में भंडारा कार्यक्रम होने वाला है तो अपने फैक्ट्री मालिक, जिन्होंने दुबई में कार्यक्रम कराया था, उनसे बोला आप अगर हमको उज्जैन पहुंचा दो तो समझो हमको जन्नत पहुंचा दिया। मालिक चौंका, पूछा कैसे? बोला बस हम मान गए, समझ गए। हम तो यही समझते थे कि हमारा इस्लाम धर्म ही सबसे ऊंचा है लेकिन यहां तो धर्म की कोई बात ही नहीं है, यहां तो रूहानी इबादत की बात है, अब मैं समझ गया।
जिस्मानी नहीं बल्कि रूहानी इबादत से खुश होते हैं खुदा भगवान अल्लाह पाक परवरदिगार
यह चीज समझ में उसके आ गया तो उसने कहा हमको उज्जैन पहुंचा दो। लेकिन वह ऐसे देश का था कि जहां से टेंशन चल रहा है तो उसको वीजा नहीं मिला। अभी दुबई के खलीफा जिनको धनी-मानी राजा जमीदार बड़े आदमी कहते हो, उज्जैन में सतसंग व नामदान कार्यक्रम में आए थे।
वह नाम बताऊंगा जिससे अपनी रूह-जीवात्मा की और उस प्रभु-खुदा की हो जायेगी पहचान
अपने रूह जीवात्मा को जो पहचान जाता है कि इसमें बहुत बड़ी शक्ति है, वह विश्वास कर लेता है, यकीन करके लग जाता है। वह कौन सा ऐसा नाम है जिससे अपनी, जीवात्मा की, प्रभु की, जिस्म से रूह खुदा की पहचान होती है, वह नाम अभी आपको मैं बताऊंगा, अभी नामदान दूंगा।