कोरोना के कारण पेरेंट्स को खो चुके बच्चों के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग बना वरदान
कोरोना महामारी में अभिभावकों को खो चुके बच्चों को परिषदीय व मान्यता प्राप्त विद्यालयों में पीएम केयर योजना के तहत प्रवेश दिया जाएगा। योजना के तहत कक्षा एक से 12 में अध्ययनरत ऐसे छात्र-छात्राओं को प्रवेश मिलेगा जिन्होंने कोविड-19 के कारण माता-पिता को खो दिया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने समस्त जनपदों के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जनपद स्तरीय नोडल अधिकारी नामित किया है।

- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पहल पर कोरोना काल में माता-पिता को खो चुके बच्चों का मुफ्त में होगा एडमिशन
- जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को बनाया गया जनपद स्तरीय नोडल अधिकारी
कानपुर देहात : कोरोना महामारी में अभिभावकों को खो चुके बच्चों को परिषदीय व मान्यता प्राप्त विद्यालयों में पीएम केयर योजना के तहत प्रवेश दिया जाएगा। योजना के तहत कक्षा एक से 12 में अध्ययनरत ऐसे छात्र-छात्राओं को प्रवेश मिलेगा जिन्होंने कोविड-19 के कारण माता-पिता को खो दिया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने समस्त जनपदों के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जनपद स्तरीय नोडल अधिकारी नामित किया है। आदेश के मुताबिक जिलाधिकारी महामारी के समय जिनकी मृत्यु हो गई है ऐसे अभिभावकों की सूचना आयोग को उपलब्ध कराएंगे। अनाथ बच्चों की जानकारी शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा वर्कर आदि के सहयोग से जुटाई जाएगी।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा ऐसे बच्चों को चिन्हित कर परिषदीय एवम मान्यता प्राप्त स्कूलों में एडमिशन करवाना होगा जिसके संदर्भ में विद्यालयवार, कक्षावार, प्रवेश की स्थिति के साथ सूचना उपलब्ध करवानी होगी, साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है बेसिक शिक्षा अधिकारी यह भी सुनिश्चित करें कि ऐसे बच्चे वित्तीय संसाधनों के अभाव में शिक्षा से वंचित न हो सकें। यदि कोई बच्चा इस कारण विद्यालय से ड्रॉप आउट हो गया है तो उसका पुनः प्रवेश कराया जाए।
30 दिन से अधिक विद्यालय से अनुपस्थित रहने वाले छात्र छात्राओं को ड्रॉपआउट मानते हुए उनके कारणों के विषय में जानकारी प्राप्त करते हुए बच्चों का पुन: प्रवेश कराया जाए। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के निर्देशों के संबंध में जनपद स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश भी दिए गए हैं जिससे महामारी से पीड़ित व्यक्ति एवं परिवार को इस संबंध में जानकारी प्राप्त हो सके और वह इस योजना से लाभ प्राप्त कर सकें।
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