पुरानी पेंशन के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए शुरू किया गया है प्रान आवंटन का मुद्दा
देशभर में पुरानी पेंशन योजना को लेकर लंबे समय से बहस छिड़ी हुई है। अटेवा पेंशन बचाओ मंच पुरानी पेंशन बहाली के लिए तहलका मचाए हुए है। राजनीतिक गलियारे में भी यह मुद्दा जोर पकड़े हुए है। चुनाव के दौरान अलग-अलग राजनीतिक पार्टियां पुरानी पेंशन योजना को वापस लागू करने का वादा भी करती दिखती हैं।

- नई पेंशन की शर्त से शिक्षक संगठनों में बढ़ी नाराजगी, बोले पुरानी पेंशन नहीं दे रहे तो नई के लिए क्यों बनाया जा रहा दबाव
अमन यात्रा, कानपुर देहात। देशभर में पुरानी पेंशन योजना को लेकर लंबे समय से बहस छिड़ी हुई है। अटेवा पेंशन बचाओ मंच पुरानी पेंशन बहाली के लिए तहलका मचाए हुए है। राजनीतिक गलियारे में भी यह मुद्दा जोर पकड़े हुए है। चुनाव के दौरान अलग-अलग राजनीतिक पार्टियां पुरानी पेंशन योजना को वापस लागू करने का वादा भी करती दिखती हैं। हाल में कई राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम को लागू भी किया गया है। पुरानी पेंशन योजना से ध्यान भटकाने के लिए सरकार ने अब नई पेंशन योजना अनिवार्य कर दी है। नई पेंशन योजना की अंशदान की कटौती के लिए प्रान आवंटन को अनिवार्य कर दिया गया है साथ ही शासन द्वारा बिना प्रान आवंटन के वेतन रोके जाने की चेतावनी भी जारी कर दी गई है। इससे शिक्षकों में दहशत का माहौल व्याप्त है। ना चाहते हुए भी शिक्षक प्रान अलॉटमेंट के लिए फार्म भरकर जमा कर रहे हैं। विभिन्न शिक्षक संगठनों का कहना है कि शिक्षक नई पेंशन का लगातार विरोध कर रहे हैं। सरकार उन्हें पुरानी पेंशन तो दे नहीं रही और नई पेंशन के लिए प्रान आवंटन की जिद कर रही है, साथ ही प्रान आवंटन न होने पर वेतन रोकने की धमकी दे रही है यह न्याय संगत नहीं है। पुरानी पेंशन की मांग के मुद्दे को सरकार भटकाना चाह रही है। हम सरकार के झांसे में नहीं आने वाले हैं अगर किसी का वेतन रोका गया तो फिर प्रदेश स्तरीय धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
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अटेवा प्रदेश सह प्रभारी राजेश सिंह चौहान का कहना है कि पुरानी पेंशन की गूंज पूरे देश में छाई हुई है इससे ध्यान भटकाने के लिए सरकार सोची-समझी रणनीति के तहत शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों को नई पेंशन थोपना चाह रही है। इसी कारण से प्रान आवंटन न करवाने वाले शिक्षकों एवं कर्मचारियों को वेतन रोकने की घुड़की दी जा रही है।
अटेवा ब्लॉक संयोजक सरवनखेड़ा रामेंद्र सिंह का कहना है कि शिक्षकों को इस बारे में निर्णय लेने की छूट मिलनी चाहिए। ऐसे शिक्षक जो प्रान आवंटित कराना चाह रहे हैं उनका बिना दिक्कत के प्रान आवंटित किया जाए बाकी जो नई पेंशन नहीं चाहता उसे छूट दी जाए।
अटेवा महामंत्री सरवनखेड़ा आलोक दीक्षित का कहना है कि शिक्षक पुरानी पेंशन चाहते हैं। यदि सरकार उन्हें पुरानी पेंशन नहीं दे रही तो नई पेंशन के लिए प्रान आवंटन की जिद क्यों कर रही। शासन द्वारा प्रान आवंटन न होने पर वेतन रोकने की चेतावनी देना गलत है।
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