पढ़ने वाले छात्र.छात्राओं को सिग्नेचर सहित अन्य कार्य के लिए उठानी पड़ रही है जहमत
प्राचार्या के गायब रहने के दौरान भी नहीं दी जाती है किसी सीनियर शिक्षक को कॉलेज की जिम्मेदारी
चकिया, चंदौली। क्षेत्र का एक मात्र सावित्रीबाई फूले राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय है। जहां स्थानीय छात्र.छात्राओं को शिक्षा ग्रहण करने का मौका तो जरूर मिलता है। लेकिन शासन द्वारा मिलने वाली सुविधाओं के लिए यहां के छात्रों को तरसना पड़ता है। राजकीय डिग्री कॉलेज में दुर्व्यवस्थाओं के साथ.साथ प्राचार्या के आए दिन कालेज न आने पर पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। छात्र.छात्राओं का आरोप है कि प्राचार्या कोई न कोई बहाना बनाकर कॉलेज से गायब रहती हैं। जिससे सिग्नेचर सहित अन्य कार्यों के लिए हम छात्रों को यहां वहां भटभटाना पड़ता है। नाम न छापने की शर्त पर छात्र.छात्राओं ने बताया कि कॉलेज की दुर्व्यवस्था तो दूर शिक्षा व्यवस्था भी पूरी तरह चरमराने की कगार पर है। यदि स्थानीय जनप्रतिनिधि सहित जिला प्रशासन व उच्च शिक्षा विभाग इसे संज्ञान में नहीं लेता है तो छात्र.छात्राओं का भविष्य डगमगा सकता है।
बतादें कि स्थानीय सावित्रीबाई फूले राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के छात्र.छात्राओं ने प्राचार्या पर आरोप लगाते हुए कहा कि कोई न कोई बहाना बनाकर आए दिन कालेज से गायब रहती हैं। जिससे हम पढ़ने वाले छात्र.छात्राओं को सिग्नेचर सहित कालेज के अन्य कार्यो के लिए यहां.वहां भटकना पड़ता है। यदि संयोग से किसी दिन कॉलेज आ भी जाती हैं तो समय से हम छात्रों का कार्य नहीं हो पाता है। वहीं छात्र छात्राओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्राचार्या एक सप्ताह से कालेज नहीं आ रही हैं। जिससे हम छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कहा कि कॉलेज में दुर्व्यवस्था तो दूर कॉलेज की शिक्षा व्यवस्था भी पूरी तरह चरमरा गई है। यदि स्थानीय जनप्रतिनिधि सहित जिला प्रशासन व उच्च शिक्षा विभाग मामले को गंभीरता से नहीं लेगा तो हम छात्र.छात्राओं का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। बताया कि यहां वर्तमान में प्राचार्या व शिक्षकों में तानाशाही रवैया चल रहा है। जिससे शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्थ हो चुकी है। प्राचार्या के कालेज से गायब रहने के दौरान भी किसी सीनियर शिक्षक को कॉलेज की जिम्मेदारी न देने की बात भी छात्र.छात्राओं ने कही। उनका कहना रहा है कि यदि प्राचार्या किसी कार्य से छुट्टी या कॉलेज नहीं आती है तो किसी सीनियर शिक्षक को जिम्मेदारी दी जाए, जिससे छात्र छात्राओं का कार्य किया जा सके।