विधवा पुनर्विवाह के अग्रदूत ईश्वर चन्द्र विद्या सागर-डॉ भवानीदीन
सुमेरपुर आजादी के अमृत महोत्सव के मद्देनजर राष्ट्र सेवियों की महत्ता को देखते हुये वर्णिता संस्था के तत्वावधान मे विमर्श विविधा के अन्तर्गत जिनका देश ऋणी है के तहत सामाजिक क्रांति एवं विधवा पुनर्विवाह के अग्रदूत ईश्वर चन्द्र विद्या सागर की पुण्यतिथि 29 जुलाई पर संस्था के अध्यक्ष डॉ भवानीदीन ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये

अमन यात्रा, हमीरपुर। सुमेरपुर आजादी के अमृत महोत्सव के मद्देनजर राष्ट्र सेवियों की महत्ता को देखते हुये वर्णिता संस्था के तत्वावधान मे विमर्श विविधा के अन्तर्गत जिनका देश ऋणी है के तहत सामाजिक क्रांति एवं विधवा पुनर्विवाह के अग्रदूत ईश्वर चन्द्र विद्या सागर की पुण्यतिथि 29 जुलाई पर संस्था के अध्यक्ष डॉ भवानीदीन ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये कहा कि ईश्वर चन्द्र विद्या सागर का भारतीय राष्ट्रवाद के अग्रसारण मे अहम् योगदान था,जिसे नकारा नहीं जा सकता है,ईश्वर चन्द्र शिक्षा लोक के देदीप्यमान नक्षत्र थे,इन्हें 1841 मे विद्वता के कारण विद्या सागर की उपाधि से नवाजा गया, ये एक महान समाजसुधारक, साग्रामिक सूरमा और लेखक थे।इनके ही प्रयासों से 1856 मे विधवा पुनर्विवाह कानून पास हुआ,जिससे महिलाओं के जीवन को एक नया आयाम मिला।समाज सुधार के क्षेत्र मे इन्होंने और भी कई कदम उठाये।ये कई अन्य पदों पर रहने के बाद कलकत्ता के संस्कृत कालेज मे प्रोफेसर रहे।ये राष्ट्र सेवा करते हुये अन्त मे 29 जुलाई 1891 को कलकत्ता मे नहीं रहे।कार्यक्रम मे अवधेश कुमार गुप्ता ,अशोक अवस्थी, राधा रमण गुप्ता, आयुष शिवहरे, बिन्दा प्रसाद प्रजापति, बिन्दा प्रसाद वर्मा, रमेश कुशवाहा एवं पुन्नी महाराज आदि हुये।
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