कविता
खुशियों की सौगात !!सत्यवान सौरभ
खुशियों की सौगात !!
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पाई-पाई जोड़ता, पिता यहाँ दिन रात !
देता हैं औलाद को, खुशियों की सौगात !!
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माँ बच्चो की पीर को, समझे अपनी पीर !
सिर्फ इसी के पास है, ऐसी ये तासीर !!
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भाई से छोटे सभी, सोना-मोती-सीप !
दुनिया जब मुँह मोड़ती, होता यही समीप !!
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बहना मूरत प्यार की, मांगे ये वरदान !
भाई को यश-बल मिले, लोग करे गुणगान !!
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पत्नी से मिलता सदा, फूलों-सा मकरंद !
तन-मन की पीड़ा हरे, रचें प्यार के छंद !!
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सच्चा सुख संतान का, कौन सका है तोल !
नटखट-सी किलकारियां, लगती है अनमोल !!
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जीजा – साली में रही, बरसों से तकरार !
रहती भरी मिठास से, साली की मनुहार !!
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मन को लगती राजसी, सालों से ससुराल !
हाल-चाल सब पूछते, रखते हरदम ख्याल !!
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सास-ससुर के रूप में, मिलते हैं माँ बाप !
पाकर इनको धन्य है, जीवन अपने आप !!
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जीवन में इक मित्र का,होता नहीं विकल्प !
मंजिल पाने के लिए, देता जो संकल्प !!
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धन-दौलत से दूर हो, चुनना वो जागीर !
जिन्दा रिश्ते हो जहां, हो सच्ची नाज़ीर !!
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सत्यवान सौरभ