नीट परीक्षा की विश्वसनीयता पर लग रहा है प्रश्नचिह्न, पूरी परीक्षा दोबारा कराने की अभ्यर्थी कर रहे हैं मांग
नीट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाया। सर्वोच्च अदालत ने ग्रेस मार्क्स को रद्द कर दिया और दोबारा परीक्षा करवाने का विकल्प खोल दिया लेकिन बड़ी बात यह रही कि परीक्षा हर किसी को दोबारा देने का मौका नहीं मिला सिर्फ जिन 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे उन्हीं को फिर परीक्षा देने का विकल्प मिला। कोर्ट ने कहा कि यह छात्र या तो दोबारा परीक्षा दे सकते हैं वरना ग्रेस मार्क्स हटवाकर जितने भी अंक मिले उस आधार पर ही काउंसलिंग करवा सकते हैं। अब पहली नजर में सुप्रीम कोर्ट का आदेश विरोध कर रहे छात्रों के लिए एक बड़ी राहत है
कानपुर देहात। नीट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाया। सर्वोच्च अदालत ने ग्रेस मार्क्स को रद्द कर दिया और दोबारा परीक्षा करवाने का विकल्प खोल दिया लेकिन बड़ी बात यह रही कि परीक्षा हर किसी को दोबारा देने का मौका नहीं मिला सिर्फ जिन 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे उन्हीं को फिर परीक्षा देने का विकल्प मिला। कोर्ट ने कहा कि यह छात्र या तो दोबारा परीक्षा दे सकते हैं वरना ग्रेस मार्क्स हटवाकर जितने भी अंक मिले उस आधार पर ही काउंसलिंग करवा सकते हैं। अब पहली नजर में सुप्रीम कोर्ट का आदेश विरोध कर रहे छात्रों के लिए एक बड़ी राहत है।
असल में जब नीट का रिजल्ट आया था 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स मिले थे आरोप लगे कि बिना किसी आधार के काफी नंबर कई छात्रों के बढ़ा दिए गए। उस वजह से पूरा मैरिट सिस्टम बदल गया। रैंकिंग पर इसका असर पड़ा और एक साथ नीट जैसी मुश्किल परीक्षा के कई सारे टॉपर निकल आए। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी छात्रों के इन आरोपों को गंभीरता से लिया है इसी वजह से ग्रेस मार्क्स को हटाने का फैसला लिया गया। 23 जून को दोबारा नीट की परीक्षा उन छात्रों के लिए आयोजित की जा रही है जिन्हें ग्रेस मार्क्स मिले थे। इसके बाद 30 जून को रिजल्ट में जारी कर दिया जाएगा जिससे काउंसलिंग में देरी ना हो।
क्यों हो परीक्षा निरस्त-
पहली बार नीट परीक्षा में 67 छात्रों का शत प्रतिशत अंकों के साथ टॉप करना, बिना बताए एनटीए द्वारा कुछ छात्रों को ग्रेस मार्क्स देना, पेपर लीक के संदिग्ध सबूतों का मिलना और बिहार की एफआईआर। अब यह तीन कारण ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी छात्रों के गुस्से को शांत नहीं होने दे रहे हैं। बड़ी बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अभी अपनी सुनवाई पूरी नहीं की है। इस समय पेपर लीक और काउंसलिंग वाले मुद्दे पर कोई फैसला नहीं आया है सिर्फ और सिर्फ ग्रेस मार्क्स को लेकर दोबारा परीक्षा की बात कही गई है। ऐसे में एक बड़ा सवाल यह उठता है कि जब सर्वोच्च अदालत ने अभी तक एनटीए को क्लीन चिट नहीं दी, सरकार ने कैसे पहले ही सबकुछ भ्रष्टाचार और धांधली मुक्त बता दिया ? इससे साफ प्रतीत होता है कि इसमें सरकार की भी मिली भगत है।
अब छात्रों के मन में यह सवाल शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के एक बयान के बाद आ रहा है। असल में धर्मेंद्र प्रधान ने मीडिया से बात करते हुए दो टूक कहा कि मैं साफ कहना चाहता हूं कि कोई धांधली नहीं हुआ है, भ्रष्टाचार का सवाल नहीं उठता। उन्होंने यहां तक कहा कि पेपर लीक के कोई सबूत नहीं मिले हैं आखिर किस आधार पर ऐसी बातें कही जा रही हैं। अब केंद्रीय मंत्री ने तो अपना रुख साफ कर दिया लेकिन छात्रों के मन में शक रह गया। जब धर्मेंद्र प्रधान कहते हैं कि पेपर लीक को लेकर कोई सबूत नहीं मिले, विरोध कर रहे छात्र सामने से कई सबूत बता देते हैं। असल में छात्रों के शक करने का आधार बिहार में हुई पुलिस की कार्यवाही है। 5 मई को नीट परीक्षा होने से पहले ही ऐसे आरोप लग चुके थे कि पेपर लीक हुआ है। उस शक के बाद ही बिहार पुलिस ने एक्शन लेते हुए 5 जून को 12 संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया था।
उनसे जब पूछताछ हुई तो पता चला कि वो आरोपी पहले भी दूसरे पेपर लीक करवा चुके हैं। अब छात्र तो सवाल पूछ रहे हैं कि अगर बिहार पुलिस को पहले से शक हो चुका था, उसके बाद भी बिना जांच किए परीक्षा के नतीजे कैसे घोषित कर दिए गए ? छात्रों के यह सवाल सरकार से हैं जो इस समय एनटीए को क्लीन चिट देने का काम कर रही है। जांच की बात करती है दोषियों पर कार्यवाही का आश्वासन भी देती है लेकिन पेपर लीक के आरोपों का खंडन भी कर रही है। ऐसे में किस आधार पर और किन आरोपों को लेकर जांच होगी यह भी एक बड़ा सवाल खड़ा हो चुका है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक बयान में आरोप लगाया कि मोदी सरकार और शिक्षा मंत्री व एनटीए ने नीट घोटाले की लीपापोती चालू कर दी है। उन्होंने सवाल किया कि अगर नीट में पेपर लीक नहीं हुआ तो बिहार में 13 आरोपियों को पेपर लीक के चलते गिरफ्तार क्यों किया गया ? क्या रैकेट में शामिल शिक्षा माफिया व संगठित गिरोह को पेपर के बदले 30-50 लाख रुपए तक के भुगतान का पटना पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने पर्दाफाश नहीं किया है ? गुजरात के गोधरा में नीट-स्नातक में धोखाधड़ी करने वाले रैकेट का भंडाफोड़ नहीं हुआ है ? उन्होंने यह सवाल भी किया कि अगर मोदी सरकार के मुताबिक नीट में कोई पेपर लीक नहीं हुआ तो ये गिरफ्तारियां क्यों हुई ? इससे क्या निष्कर्ष निकला ? क्या मोदी सरकार देश की जनता की आंखों में पहले धूल झोंक रही थी या अबb? खरगे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने एनटीए का दुरुपयोग कर स्कोर और रैंक की जोरदार धांधली की गई है जिससे आरक्षित सीटों का कटऑफ भी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को नीट घोटाले में उच्चतम न्यायालय की निगरानी में स्वतंत्र फोरेंसिक जांच का आदेश देना चाहिए।