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यूपी में पुरानी पेंशन का खुला विकल्प, सरकारी कर्मचारियों को खुश करने की कवायद शुरू

खुद रसगुल्ला, रसमलाई व चमचम रूपी पुरानी पेंशन खाने वाली सरकार अपने कर्मचारियों को नई पेंशन के नाम पर ठगने की कोशिश में फेल साबित हो गयी है। वही कुछ आईएएस अधिकारियों ने भी यूपी में भाजपा की लुटिया डुबो दी है। केंद्र सरकार के एक फैसले के अनुसार 2005 से कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बंद कर दी गई थी। उसी के अनुसार उत्तर प्रदेश में भी सरकार नई पेंशन का लॉलीपॉप कर्मचारियों को बांट रही थी

कानपुर देहात। खुद रसगुल्ला, रसमलाई व चमचम रूपी पुरानी पेंशन खाने वाली सरकार अपने कर्मचारियों को नई पेंशन के नाम पर ठगने की कोशिश में फेल साबित हो गयी है। वही कुछ आईएएस अधिकारियों ने भी यूपी में भाजपा की लुटिया डुबो दी है। केंद्र सरकार के एक फैसले के अनुसार 2005 से कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बंद कर दी गई थी। उसी के अनुसार उत्तर प्रदेश में भी सरकार नई पेंशन का लॉलीपॉप कर्मचारियों को बांट रही थी। यहीं नहीं बल्कि कुछ आईएएस अधिकारियों ने तो कर्मचारियों को जबरन नई पेंशन लेने को बाध्य किया था। उत्तर प्रदेश सहित लगभग सभी उन राज्यों के कर्मचारी पुरानी पेंशन के लिए एकजुट हो गए थे जहाँ नई पेंशन पर जोर दिया जा रहा था। पिछले विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में कांग्रेस ने पुरानी पेंशन को घोषणापत्र में शामिल कर लिया था। विजय बंधु अटेवा सहित कई संगठनों ने लखनऊ से लेकर दिल्ली दरबार तक की कुंडी खटखटायी थी। वहीं सरकार को चेतावनी दी थी कि यदि कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने की मांग नहीं मानी गई तो सरकारी कर्मचारी और उनके परिवार के लोग सत्ता के खिलाफ वोट करेंगे। मीडिया भी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की मांग को एक नहीं बार बार उठाता चला आ रहा है लेकिन घमंड में चूर सत्ताधारी लोग स्वयं पुरानी पेंशन का लाभ लेते हुए सरकारी कर्मचारियों को नई पेंशन के लाभ गिना रहे थे।

इसी का नतीजा है कि लोक सभा चुनाव में भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं बना सकी। यदि भाजपा सरकार ने अपनी नई पेंशन योजना की हट अभी भी नहीं छोड़ी तो उसे आगे भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। इसी भय से आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए योगी सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है। योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) लागू किए जाने की अधिसूचना जारी होने से पहले नियुक्ति हेतु निकाले गए विज्ञापनों से भर्ती किए गए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का विकल्प चुनने का मौका दिया है। इस आशय के प्रस्ताव को उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने मंगलवार को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगी। इस व्यवस्था के मुताबिक ऐसे कर्मचारी जिनकी नियुक्ति एक अप्रैल 2005 को अथवा उसके बाद हुई है परंतु उस नियुक्ति का विज्ञापन एनपीएस लागू किए जाने संबंधी अधिसूचना जो 28 मार्च 2005 के पूर्व प्रकाशित हुआ था को पुरानी पेंशन योजना में शामिल होने का विकल्प दिया गया है।

इस नियम में आने वाले उत्तर प्रदेश सरकार के कार्मिक, परिषदीय विद्यालयों, शासन से सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं तथा राज्य सरकार द्वारा अनुदानित स्वायत्तशासी संस्थाओं के कार्मिक पुरानी पेंशन चुनने के विकल्प का लाभ ले सकेंगे। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए इस आशय का आदेश तीन मार्च 2023 को जारी कर दिया था। योगी सरकार के इस फैसले को यूपी में लोकसभा चुनाव में विपक्ष को मिली सफलता और आने वाले विधानसभा चुनाव के नजरिए से देखा जा रहा है। पुरानी पेंशन लागू करने की मांग जोर शोर से सरकारी कर्मचारी उठा रहे हैं। पिछले दो चुनावों में लगातार भाजपा को कर्मचारियों का समर्थन नहीं मिल रहा है। पोस्टल बैलेट में भाजपा प्रत्याशी विपक्ष के प्रत्याशियों से पिछड़ जा रहे हैं। यही हालत वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव में भी देखने को मिली थी। यहां पर पोस्टल बैलेट में कांग्रेस के अजय राय ने पीएम मोदी को पछाड़ दिया था।

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Author: anas quraishi

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