परिषदीय स्कूलों में लगेगी ऑनलाइन अटेंडेंस, तुगलकी फरमान से शिक्षकों के छूट रहे पसीने
उत्तर प्रदेश के स्कूलों में मास्टर साहब अब अपनी जगह ड्यूटी किसी और को नहीं भेज सकेंगे। राज्य सरकार ने शिक्षकों की अनुपस्थिति और प्रॉक्सी की समस्याओं से निपटने के लिए एक नया नियम लागू किया है। नए रेगुलेशन के अनुसार सभी परिषदीय स्कूलों की दीवारों पर टीचिंग स्टाफ की तस्वीरें प्रमुखता से लगानी होंगी इसके अलावा 15 जुलाई से ऑनलाइन अटेंडेंस भी लगानी होगी
कानपुर देहात। उत्तर प्रदेश के स्कूलों में मास्टर साहब अब अपनी जगह ड्यूटी किसी और को नहीं भेज सकेंगे। राज्य सरकार ने शिक्षकों की अनुपस्थिति और प्रॉक्सी की समस्याओं से निपटने के लिए एक नया नियम लागू किया है। नए रेगुलेशन के अनुसार सभी परिषदीय स्कूलों की दीवारों पर टीचिंग स्टाफ की तस्वीरें प्रमुखता से लगानी होंगी इसके अलावा 15 जुलाई से ऑनलाइन अटेंडेंस भी लगानी होगी। लोकसभा चुनावों से पूर्व शिक्षा विभाग के महानिदेशक पद पर तैनात विजय किरन आनंद ने परिषदीय विद्यालयों के अध्यापकों को डिजिटल हाजरी के नाम पर इस कदर परेशान किया था कि पूरा माहौल ही योगी सरकार के खिलाफ हो गया था। एक बार फिर लोकसभा चुनावों के बाद फिर से वही माहौल बनाने की साजिश शुरू हो गई है। ऐसा लगता है कि शिक्षा विभाग के मुखिया ने गुरुओं को दक्षिणा में आदर, सत्कार, सम्मान की जगह परेशानी, निरादर, वेदनाएं देने की ठान ली है। इसके विरोध में पूरे प्रदेश के लाखों शिक्षक एक बार फिर से एकजुट हो रहे हैं।
परिषदीय शिक्षकों के लिए मौत का वारंट जारी करने वाले डीजी विजय किरन आनंद जब योगी सरकार के लिए परेशानी का सबब बने और पूरे उत्तर प्रदेश का शिक्षक समाज बीजेपी की प्रदेश सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया तब सरकार की हिलती कुर्सी का एहसास प्रदेश के शिक्षा मंत्री संदीप सिंह को हुआ और उन्होंने दखल दी। मामला मुख्यमंत्री योगी तक पहुंचा। तब कहीं जाकर अंगद का पर बने विजय किरन आनंद को शिक्षा महानिदेशक के पद से हटाकर कुंभ भेजा गया था। उनके स्थान पर कंचन वर्मा को नया महानिदेशक बनाया गया। कंचन वर्मा के द्वारा यह कुर्सी संभाल लेने के बाद परिषदीय शिक्षकों को यह उम्मीद की किरन नजर आई थी कि वह शिक्षकों को सम्मान देंगी, अव्यवहारिक आदेश नही करेंगी, उनसे जिंदगी नहीं छिनेंगी, तुगलकी फरमान जारी नहीं करेंगी तथा सरकार की लुटिया डुबोने का काम नहीं करेंगी लेकिन कुछ दिनों की छुट्टी के बाद कंचन वर्मा ने भी विजय किरन आनंद की राह पकड़ ली है अगर और खुले शब्दों में कहें तो वह तुगलकी फरमान जारी करने में विजय किरन आनंद से भी आगे निकल गईं। पहले 52 डिग्री की गर्मी में समर कैंप रूपी मौत का वारंट जारी किया।
जिसमें शिक्षा मंत्री संदीप सिंह को दखल देना पड़ा और उन्होंने शिक्षकों व नन्हे मासूमों को बचा लिया। अब वही डिजिटल हाजिरी का मौत रूपी वारंट उन्होंने भी जारी कर दिया जो कई शिक्षकों की जान ले चुका है। उन्होंने प्रदेश के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को जारी किए गए टाइम एंड मोशन वाले आदेश में कहा है कि उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित परिषदीय विद्यालयों हेतु निर्धारित 12 पंजिकाओं के डिजिटाइजेशन कराने का निर्णय लिया गया है। इन 12 पंजिकाओं में उपस्थित पंजिका, प्रवेश पंजिका, कक्षावार छात्र उपस्थित पंजिका, एमडीएम पंजिका, समेकित निःशुल्क सामग्री वितरण पंजिका, स्टॉक पंजिका, आय-व्यय एवं चेक इश्यू पंजिका, बैठक पंजिका, निरीक्षण पंजिका, पत्र- व्यवहार पंजिका, बाल गणना पंजिका एवं पुस्तकालय एवं खेलकूद पंजिका। डिजिटल उपस्थित पंजिका में विद्यालय में कार्यरत समस्त अध्यापकों/ कार्मिकों द्वारा प्रतिदिन अपनी उपस्थिति, विद्यालय आगमन / प्रस्थान का समय अंकित किया जाएगा। यह मोबाइल व टेबलेट पर होगी और इसे प्रधानाध्यापक प्रमाणित करेंगे। यह प्रेरणा पोर्टल पर होगी। सवाल पैदा होता है कि यूपी के सरकारी स्कूलों में आवासीय सुविधाएं नही है। शिक्षकों को दूर-दूर से बसों, अन्य वाहनों से जाना पड़ता है। सैकड़ों स्कूल तो बीहड़ व दुर्गम स्थानों पर हैं जहाँ आवागमन का कोई साधन नही है। कई स्कूलों के रास्ते में नदियां पड़ती हैं। अब मानसून मौसम शुरू हो गया है ऐसे में ये नदियां समुन्द्र का रूप ले लेती हैं। गांवों का संपर्क आपस में कट जाता है। बस या अन्य वाहनों में कोई भी तकनीकी खराबी आ सकती है। परिवार में कोई बीमार हो सकता है।
इमरजेंसी हो सकती है या कोई अन्य दुर्घटना हो जाती है, उस स्थिति में कैसे डिजिटल हाजरी का पालन हो सकेगा ? कैसे दुर्गम व बीहड़ क्षेत्रों में जाया जा सकेगा ? कैसे प्रसव पीड़ित महिला शिक्षिका इसका पालन कर पायेगी ? कैसे नदी नालों को पार किया जाएगा ? कैसे घर में बीमार सदस्य को उपचार दिला पायेगा ? इस तरह के तुगलकी आदेश पहले भी गलत साबित हुए हैं। यह खुद मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री ने भी माना है। सरकार के खिलाफ माहौल बन चुका है। फिर उसी प्रयोग को क्यों किया जा रहा है ? कही ऐसा तो नहीं कि कुर्सी पर कंचन वर्मा बैठी हो और संचालन विजय किरन आनंद कर रहे हो ? इस तुगलकी फरमान से शिक्षक संगठन काफी गुस्से में नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि डिजिटल हाजरी जैसे तुगलकी आदेश को किसी भी रूप में स्वीकार नही किया जाएगा। डीजी शिक्षकों को चोर साबित करने पर तुली हैं लेकिन पिछले 10 सालों से हमारी समस्याएं ज्यों की त्यों हैं। पहले उनका समाधान करें और बाद में कोई आदेश दे। ऑनलाइन व्यवस्था शिक्षकों की सेवा शर्तों के विरुद्ध है। उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी नियमावली 1956 तथा बेसिक शिक्षा परिषद नियमावली 1972 अद्यतन संशोधित 1982 के भी विरुद्ध है। जब प्रदेश के किसी भी विभाग में ऑनलाइन हाजरी नही है तो फिर बेसिक शिक्षकों पर नियमावली के विरुद्ध जाकर सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है इसे किसी भी हाल में हम लोग स्वीकार नहीं करेंगे।