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एक बार फिर पुरानी पेंशन की मांग पकड़ रही है रफ्तार

पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। कर्मचारी संगठनों को ऐसी उम्मीद नजर आ रही है कि सरकार एनपीएस में ही ओपीएस वाले प्रावधान शामिल कर सकती है। हालांकि नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन के वरिष्ठ पदाधिकारी, स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ के महासचिव कहते हैं कि सरकारी कर्मियों को केवल गारंटीकृत पुरानी पेंशन ही चाहिए उन्हें एनपीएस में सुधार मंजूर नहीं है

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  • ओपीएस केवल एक पेंशन ही नहीं अपितु ये सामाजिक सुरक्षा का जरिया है- विजय कुमार बंधु

कानपुर देहात। पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। कर्मचारी संगठनों को ऐसी उम्मीद नजर आ रही है कि सरकार एनपीएस में ही ओपीएस वाले प्रावधान शामिल कर सकती है। हालांकि नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन के वरिष्ठ पदाधिकारी, स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ के महासचिव कहते हैं कि सरकारी कर्मियों को केवल गारंटीकृत पुरानी पेंशन ही चाहिए उन्हें एनपीएस में सुधार मंजूर नहीं है। दूसरी तरफ एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने भी संसद सत्र के दौरान पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सहित सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के दो दर्जन से अधिक सांसदों से मुलाकात की है।

उन्होंने विशेषकर शिक्षकों व दूसरे विभागों के कर्मचारियों के लिए ओपीएस को बुढ़ापे की लाठी बताया है। बंधु ने सांसदों से मांग की है कि वे सरकार पर दबाव बनाकर गारंटीकृत पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल कराएं।
केंद्र सरकार जुलाई के तीसरे सप्ताह में बजट पेश कर सकती है। इसके चलते विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने अपनी मांगों की सूची सरकार के समक्ष रखी है। विभिन्न संगठनों ने अपनी मांगों के समर्थन में प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र भेजे हैं। पुरानी पेंशन बहाली के अलावा कर्मचारियों की दूसरी मांगों में आठवें वेतन आयोग का गठन, मेडिकल सुविधाओं की बेहतरी, स्टाफ बेनिफिट फंड, रेस्टोरेशन कम्युटेशन ऑफ पेंशन, इनकम टैक्स स्लैब, होम लोन रिकवरी व रेलवे की क्षमता में वृद्धि आदि मांगें शामिल हैं। जेसीएम स्टाफ साइड के सचिव और एआईआरएफ के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने 21 जून को केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है। इससे पहले उन्होंने 11 जून को प्रधानमंत्री मोदी को लिखे अपने पत्र में आग्रह किया था कि एक जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में आए कर्मियों की पुरानी पेंशन बहाली पर गंभीरता से विचार किया जाए। सरकार आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा भी जल्द से जल्द करे। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि ओपीएस केवल एक पेंशन नहीं है अपितु ये सामाजिक सुरक्षा का जरिया है। एनपीएस ने सरकारी कर्मियों के सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा चक्र को तोड़ दिया है।

तीन दशक की नौकरी के बाद जब कोई कर्मचारी, एनपीएस में रिटायर होता है तो उसे महज चार-पांच हजार रुपये बतौर पेंशन मिलते हैं। एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने संसद सत्र के दौरान अनेक सांसदों से मुलाकात कर पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा उठाया। बंधु ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, चिराग पासवान, राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा, जगदंबिका पाल, नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रमोद तिवारी, उज्ज्वल रमण सिंह, राकेश राठौर, राजीव शुक्ला, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, सपा सांसद प्रोफेसर रामगोपाल यादव, डिंपल यादव, आनंद भदौरिया, आदित्य यादव, नरेश उत्तम पटेल, दरोगा प्रसाद सरोज, पुष्पेंद्र सरोज, आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर रावण, निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव और सुदामा प्रसाद समेत कई अन्य सांसदों से मुलाकात की। उन्होंने सांसदों से पुरानी पेंशन बहाली और निजीकरण समाप्त करने का आग्रह किया है।

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Author: anas quraishi

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