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ऑनलाइन उपस्थिति के विरोध में उतरे शिक्षक संगठन

परिषदीय विद्यालयों को हाइटेक करने में महकमा जी जान से जुटा हुआ है। 8 जुलाई से सभी परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों और बच्चों की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज करनी होगी। अटेवा समेत कई शिक्षक संगठनों की तरफ से इसका विरोध भी किया जा रहा है। परिषदीय स्कूलों को टैबलेट मुहैया कराए जा चुके हैं और विभाग द्वारा सिम कार्ड वितरण प्रक्रिया पूरी होने का दावा भी किया जा रहा है। सभी परिषदीय स्कूलों में 8 जुलाई से टैबलेट पर फेस रिकग्निशन सिस्टम के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने की तैयारी तेज कर दी गई है

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  • महानिदेशक ने 8 जुलाई से ऑनलाइन अटेंडेंस लगाने का जारी किया है फरमान

राजेश कटियार, कानपुर देहात। परिषदीय विद्यालयों को हाइटेक करने में महकमा जी जान से जुटा हुआ है। 8 जुलाई से सभी परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों और बच्चों की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज करनी होगी। अटेवा समेत कई शिक्षक संगठनों की तरफ से इसका विरोध भी किया जा रहा है। परिषदीय स्कूलों को टैबलेट मुहैया कराए जा चुके हैं और विभाग द्वारा सिम कार्ड वितरण प्रक्रिया पूरी होने का दावा भी किया जा रहा है। सभी परिषदीय स्कूलों में 8 जुलाई से टैबलेट पर फेस रिकग्निशन सिस्टम के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने की तैयारी तेज कर दी गई है। स्कूलों में 12 तरह के रजिस्टर को डिजिटल किया जाना है।

शिक्षकों और छात्रों की अटेंडेंस भी ऑनलाइन दर्ज करनी है। इसके अलावा विद्यालयों में शिक्षक क्या पढ़ा रहे हैं इसका 5 मिनट का वीडियो भी बनाकर भेजना होगा। निर्देश है कि वीडियो की गुणवत्ता अच्छी होने के साथ ही आवाज भी स्पष्ट होनी चाहिए। वीडियो लैंडस्केप मोड में बनाना होगा। वीडियो में सबसे पहले विद्यालय, फिर शिक्षक का नाम, संदर्भित विषय आदि का उल्लेख भी करना होगा। विद्यालय खुलने के समय से 15 मिनट पहले विद्यालय में प्रार्थना सभा का आयोजन किये जाने और इसकी फोटो खंड शिक्षा अधिकारी को भेजने के निर्देश हैं। इतना ही नहीं परिषदीय विद्यालयों की गुणवत्ता को सुधारने के लिए 32 बिंदुओं की गाइडलाइन जारी की गई है।

अटेवा पेंशन बचाओ मंच, जूनियर शिक्षक संघ, प्राथमिक शिक्षक संघ, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन एवं अन्य शिक्षक संगठनों के पदाधिकारी इस आदेश का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि परिषदीय स्कूल प्रायः दूरस्थ एवं दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों मे अवस्थित है। जहां आवागमन एवं नेटवर्क आदि की समस्या हमेशा बनी रहती है। ऐसे में ऑनलाइन उपस्थिति व पंजिकाओं या डिजिटाइजेशन का आदेश पूरी तरह से अव्यावहारिक है। अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु ने ऑनलाइन अटेंडेंस को पूरी तरह से अव्यावहारिक बताया है उन्होंने कहा कि सरकार 70 सालों में सब जगह सड़क, बिजली व पानी नहीं पहुचा पाई और शिक्षकों से चाहते हैं कि वह तुरन्त डिजिटल हो जाएं।

अटेवा ऑनलाइन उपस्थिति का विरोध करता है और सभी शिक्षक संगठनों से अपील करता है कि इसका जम कर विरोध होना चाहिए क्योंकि शिक्षकों के लिए यह व्यवस्था जानलेवा साबित होगी। मानसिक दबाव में भागता हुआ शिक्षक यदि किसी दुर्घटना का शिकार होगा तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा सरकार, विभाग या तमाम बड़े-बड़े तानाशाही फरमान निकालने वाले अधिकारी।

उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षक कोई मशीन नहीं है वह संवेदनाओ से भरा हुआ,भावनाओं में चलने वाला, बच्चों के खाली दिमाग में तमाम मानवीय गुणों को पिरोने वाला है जब उसी का मस्तिष्क तनाग्रस्त रहेगा, स्वतंत्र, सहज नहीं रह पाएगा तो वह बच्चों का निर्माणकर्ता और देश का निर्माता कैसे बन पाएगा। यह व्यवस्था किसी भी हाल में लागू नहीं होनी चाहिए। शिक्षक संगठनों से मै अपील करता हूं कि सभी इसका विरोध करें नहीं तो शिक्षकों का विश्वास अपने विभागीय संगठनों व नेतृत्वकर्ताओं से उठ जाएगा।

anas quraishi
Author: anas quraishi

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