प्रभारी प्रधानाध्यापक भी प्रधानाध्यापक के समान वेतन पाने के हकदार, सरकार देने को नहीं तैयार
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में कार्यरत प्रभारी प्रधानाध्यापकों को बेसिक शिक्षा विभाग नियमित प्रधानाध्यापक के बराबर वेतन देने को तैयार नहीं है।
राजेश कटियार, कानपुर देहात। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में कार्यरत प्रभारी प्रधानाध्यापकों को बेसिक शिक्षा विभाग नियमित प्रधानाध्यापक के बराबर वेतन देने को तैयार नहीं है। पिछले कुछ महीनों में विभिन्न याचिकाओं में हाईकोर्ट ने प्रभारी प्रधानाध्यापकों को भी नियमित प्रधानाध्यापक के समान वेतन देने के आदेश दिए हैं लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने सिंगल बेंच के आदेश का अनुपालन करने की बजाय डबल बेंच में इसके खिलाफ अपील कर दी है।
अफसरों का तर्क है कि नियमावली में प्रभारी प्रधानाध्यापकों को स्थायी प्रधानाध्यापक के समान वेतन देने की कोई व्यवस्था नहीं है। यह नितांत अस्थायी व्यवस्था है। वहीं दूसरी ओर परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों में भारी संख्या में प्रधानाध्यापकों के पद रिक्त होने के बावजूद 10-12 साल से पदोन्नति नहीं की जा रही है। जनपद में ही 9 फरवरी 2009 के बाद नियुक्त शिक्षकों का प्रमोशन नहीं हुआ है। वर्षों से सहायक अध्यापक ही प्रभारी प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं और पदोन्नति की आस लगाए बैठे हैं। पदोन्नति न होने से नाराज प्रभारी प्रधानाध्यापकों ने ही याचिकाएं की थीं।
75 फीसदी उच्च प्राथमिक स्कूलों में नियमित हेड नहीं-
परिषदीय स्कूलों में नियमित प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति पर छह साल में निर्णय नहीं हो सका है। शिक्षा मंत्रालय की ओर से होने वाली प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) की बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार हर साल प्रधानाध्यापकों की तैनाती का प्रस्ताव रखती है, लेकिन उस पर अमल नहीं हो पा रहा। एक चौथाई उच्च प्राथमिक स्कूलों में नियमित प्रधानाध्यापक नहीं हैं। प्रमोशन न होने से शिक्षकों को आर्थिक नुकसान तो हो ही रहा है साथ ही शिक्षकों की नई भर्ती में भी अड़चन आ रही है। 2019-20, 2020-21, 2021-22 व 2022-23 सत्र की पीएबी बैठकों में अफसरों ने प्रधानाध्यापकों के 50 प्रतिशत पदों पर सीधी नियुक्ति पर विचार करने की भी बात कही थी लेकिन वह हवा हवाई सिद्ध हुई।