कानपुर में अधिवक्ता राजेश सिंह की निर्मम हत्या, वकीलों में आक्रोश, हड़ताल की चेतावनी
कानपुर में अधिवक्ता राजेश सिंह की 25 मार्च को हुई निर्मम हत्या ने शहर के वकीलों में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। आज कलेक्ट्रेट सभागार में एकत्रित हुए सैकड़ों वकीलों ने जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों को पुरजोर तरीके से रखा।

- पीड़ित परिवार के लिए मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग, एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग
कानपुर: कानपुर में अधिवक्ता राजेश सिंह की 25 मार्च को हुई निर्मम हत्या ने शहर के वकीलों में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। आज कलेक्ट्रेट सभागार में एकत्रित हुए सैकड़ों वकीलों ने जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों को पुरजोर तरीके से रखा।
घटना का विवरण:
25 मार्च को अधिवक्ता राजेश सिंह की गाड़ी हटाने के मामुली विवाद मे हत्या कर दी गई थी। इस घटना ने पूरे अधिवक्ता समुदाय को स्तब्ध कर दिया है और उनमें असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है।
वकीलों की प्रमुख मांगें:
- आर्थिक सहायता: मृतक अधिवक्ता के परिवार को तत्काल एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।
- सरकारी नौकरी: परिवार के एक आश्रित सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए ताकि उनका जीवनयापन सुचारू रूप से चल सके।
- त्वरित न्याय: राजेश सिंह के हत्यारों के खिलाफ फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाया जाए और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।
- अधिवक्ताओं की सुरक्षा: अधिवक्ताओं पर हो रहे लगातार हमलों, हत्याओं और झूठे मुकदमों को रोकने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाए जाएं।
- एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट: अधिवक्ताओं की सुरक्षा और भयमुक्त वातावरण के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को तत्काल लागू किया जाए।
वकीलों की चेतावनी:
वकीलों ने जिलाधिकारी को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को तत्काल पूरा नहीं किया जाता है, तो कानपुर के सभी अधिवक्ता अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि यह हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।
प्रशासन का रुख:
जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने वकीलों की मांगों को गंभीरता से सुना और उन्हें आश्वासन दिया कि वे इस मामले को उच्च अधिकारियों के समक्ष रखेंगे और न्याय सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
वकीलों में रोष:
अधिवक्ता समुदाय में इस घटना को लेकर गहरा रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि अधिवक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है और वे अपने साथियों के लिए न्याय की लड़ाई में पीछे नहीं हटेंगे।
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