चौतरफा विरोध के बीच स्कूलों का विलय शुरू, शिक्षक संगठनों के साथ प्रतियोगी छात्र भी विरोध में उतरे
उत्तर प्रदेश में कम छात्र संख्या वाले परिषदीय स्कूलों को बंद करने या विलय करने के निर्णय का विरोध तेज हो गया है। शिक्षक संगठनों के साथ प्रतियोगी छात्र भी इसके विरोध में उतर आए हैं। बुधवार को उन्होंने एक्स पर सेव विलेज स्कूल के नाम से व्यापक अभियान चलाया था

कानपुर देहात। उत्तर प्रदेश में कम छात्र संख्या वाले परिषदीय स्कूलों को बंद करने या विलय करने के निर्णय का विरोध तेज हो गया है। शिक्षक संगठनों के साथ प्रतियोगी छात्र भी इसके विरोध में उतर आए हैं। बुधवार को उन्होंने एक्स पर सेव विलेज स्कूल के नाम से व्यापक अभियान चलाया था। इस फैसले के खिलाफ लोगों द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन और आलोचनाएं की जा रही हैं खासकर उन लोगों द्वारा जो मानते हैं कि इससे गरीब और वंचित बच्चों की शिक्षा तक पहुंच कम हो जाएगी। फिलहाल विभाग के आदेश के बाद शिक्षकों में खलबली मची हुई है। विभाग का आदेश छात्र-छात्राओं के लिए परेशानी भरा भी हो सकता है। जिले में 700 से अधिक स्कूल ऐसे हैं जहां छात्र संख्या 50 से कम है लेकिन ये वो स्कूूल हैं जहां आस-पास एक किमी की दूरी में कोई स्कूल नहीं है। इन गांवों का रास्ता भी उचित नहीं है। यदि इन गांवों के स्कूलों को बंद किया जाता है तो यहां के नौनिहालों को दो से तीन किमी दूरी पर स्कूल में समायोजित किया जाएगा जहां इनका पहुंचना संभव नहीं होगा। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडे ने आदेश की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह निर्णय ग्रामीण बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
उन्होंने कहा शिक्षा का अधिकार अधिनियम इसी उद्देश्य से लागू हुआ था कि हर बच्चे को उसके घर के समीप शिक्षा मिले। आज उन्हीं स्कूलों को मर्ज करना न केवल छात्रों बल्कि अभिभावकों और शिक्षकों के संवैधानिक अधिकारों का ठगबंधन है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि शासन ने यह आदेश तत्काल वापस नहीं लिया तो प्रदेश में शिक्षक संगठन जन आंदोलन खड़ा करेंगे और जरूरत पड़ी तो न्यायिक कार्यवाही भी की जाएगी। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने भी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए इसे स्कूलों के निजीकरण की ओर बढ़ाया गया कदम बताया है। वहीं उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी ने भी इस निर्णय का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा यदि ऐसे विद्यालय बंद कर दिए जाएंगे तो गरीब और पिछड़े क्षेत्रों के बच्चों को जरूरी शिक्षा से वंचित होना पड़ेगा। यह निर्णय छात्र व शिक्षक किसी के भी हित में नहीं है।
मर्जर प्रक्रिया के विरोध में उतरे अभ्यर्थी-
यूपी में कक्षा 8 तक के करीब 25 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूलों को मर्ज करने की तैयारी है। ये वो स्कूल हैं जहां स्टूडेंट्स की संख्या 50 से कम है। अगर इतने स्कूल मर्ज हुए तो जाहिर है कि टीचर के हजारों पद कम हो जाएंगे। इससे भविष्य में भर्ती की उम्मीदों को भी झटका लगेगा। इसे देखते हुए प्रतियोगी अभ्यर्थी स्कूल मर्ज करने के सरकारी फरमान का विरोध कर रहे हैं। वहीं सरकार का तर्क है कि ये कदम शिक्षा की बेहतरी के लिए उठाया गया है लेकिन डीएलएड/बीएड डिग्रीधारी और विभिन्न शिक्षक संगठन इसके विरोध में उतर आए हैं।
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