DLF रेजिडेंट वेलफेयर की बैठक: पारदर्शिता से काम करने का संकल्प, आवागमन और व्यावसायिक सुविधाओं की कमी पर चिंता
राजधानी की प्रमुख आवासीय कॉलोनी DLF गार्डन ग्रीन सिटी में आज DLF रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) कमेटी की एक महत्वपूर्ण बैठक क्लब हाउस स्थित सभागार में संपन्न हुई।

- RWA ने कसी कमर: पारदर्शिता का दावा, पर 'विकसित' कॉलोनी में सड़कों पर गड्ढे, अस्पताल-दुकानें नदारद
लखनऊ: राजधानी की प्रमुख आवासीय कॉलोनी DLF गार्डन ग्रीन सिटी में आज DLF रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) कमेटी की एक महत्वपूर्ण बैठक क्लब हाउस स्थित सभागार में संपन्न हुई। बैठक का मुख्य उद्देश्य कॉलोनी को और अधिक विकसित, संरक्षित, सुंदर बनाने के साथ-साथ निवासियों को बेहतर सुविधाएँ प्रदान करने के तरीकों पर चर्चा करना था। हालांकि, इस दौरान आवागमन की दिक्कतें और व्यावसायिक सुविधाओं की कमी जैसी मूलभूत समस्याओं को प्रमुखता से उठाया गया।
RWA कमेटी का पारदर्शिता और तीव्र गति से कार्य करने का संकल्प
RWA कमेटी के सदस्यों, जिनमें अध्यक्ष कर्नल अजय सिंह, उपाध्यक्ष विजय कुमार यादव, सचिव अशोक कुमार त्रिपाठी, और अन्य सदस्य अवधेश चंद्रा, प्रहलाद दीक्षित, अतुल सिंह, प्रमोद कुमार, विपिन श्रीवास्तव, सोनू कुमार आदि शामिल थे, ने DLF से संबंधित कार्यों को ईमानदारी, लगन, पारदर्शी तथा वैज्ञानिक व आधुनिक तरीके से तीव्र गति से कराने का संकल्प दोहराया।
कमेटी ने बताया कि वे DLF मुख्यालय नई दिल्ली के अधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं और कोई भी उपलब्धि बिना फॉलोअप के नहीं मिलती। उन्होंने करीब ₹1 करोड़ 60 लाख की देनदारियों को पारदर्शी तरीके से निस्तारित करने की बात कही। साथ ही, यह भी बताया गया कि पिछला रिकॉर्ड और डेटा न होने के कारण उसे तैयार किया जा रहा है, सभी भुगतान चेक के माध्यम से हो रहे हैं और स्टॉक रजिस्टर को भी अपडेट किया जा रहा है। LIG-EWS आवासों की समस्याओं का भी निस्तारण किया जा रहा है। कमेटी ने इन सभी बिंदुओं को सदस्यों को फिल्म के माध्यम से विस्तार से समझाया।
विकसित कॉलोनी में बुनियादी सुविधाओं का अभाव, निवासियों में असंतोष
बैठक में उपस्थित कमेटी सदस्यों और DLF निवासियों ने DLF की पहचान – आवासीय, वाणिज्यिक और खुदरा संपत्तियों के विकास को लेकर सवाल उठाए। निवासियों ने बताया कि DLF लखनऊ गार्डन ग्रीन सिटी करीब 8 साल से विकसित हो रही है, लेकिन इतनी अवधि के बाद भी कॉलोनी में उचित व्यावसायिक क्षेत्र, अस्पताल या कोई टी-कैंटीन तक नहीं है।
निवासियों ने दर्द बयां करते हुए कहा कि जहाँ उनके करोड़ों रुपये के प्लाट और निर्माण हैं, वहीं दाल, चावल, आटा, दूध जैसी रोजमर्रा की चीजें लेने के लिए उन्हें मोहनलालगंज या तेलीबाग जाना पड़ता है। कॉलोनी के भीतर 3-4 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है, क्योंकि आवागमन के लिए एक भी बैटरी रिक्शा तक नहीं चलता।
गड्ढे, पानी की समस्या और सुविधाओं की कमी
स्कूल के पास सड़क पर करीब 30 गड्ढे हैं जहाँ बारिश में पानी भर जाता है। पीने के पानी की सुविधा, कोई भी स्टे सेंटर या सार्वजनिक शौचालय तक नहीं है। गार्ड्स को भी पानी के लिए भटकना पड़ता है, और अतिथियों के बैठने या सार्वजनिक शौचालय की भी कोई व्यवस्था नहीं है। कॉलोनी के पार्कों में कुत्ते और गाय घूमते मिलते हैं। बिजली के बिल की कॉपी नहीं मिलने जैसी शिकायतें भी सामने आईं।
निवासियों ने जोर देकर कहा कि DLF कॉलोनी में सभी कार्य निवासियों के कल्याण के लिए होने चाहिए, और किसी भी खर्चे से पहले टेंडर नियमों का पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने RWA पदाधिकारियों से व्हाट्सएप पर संवाद के बजाय मेन गेट सहित सभी क्षेत्रों में नोटिस बोर्ड पर जानकारी लगाने और शिकायतों का युद्ध स्तर पर निस्तारण करने की मांग की।
उपस्थितजनों ने RWA कमेटी को अपनी बात रखने का एक अच्छा मंच बताया और सौहार्दपूर्ण बैठकों की मासिक व्यवस्था जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि आपसी बैठकों में पुलिस बल को बुलाना उचित नहीं है। इस मौके पर बद्री प्रसाद, अरुणा सिंह, विवेक शर्मा, बी.सी. मल, प्रमोद कुमार शर्मा, जे.पी. मंडल, विष्णु सिंह, सी.एल. यादव, रामानुज राव, सुरेखा वर्मा, प्रमोद, ए.एन. मिश्र सुधीर सहित बड़ी संख्या में कॉलोनी निवासी उपस्थित थे।
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