अब तीन पीढ़ियों की पैतृक संपत्ति के बंटवारे में लगेंगे मात्र दस हजार रुपये, अधिसूचना हुई जारी
अब पैतृक संपत्ति का विभाजन करवाना आसान हो गया है। स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग ने विभाजन शुल्क को घटाकर मात्र 10 हजार रुपये कर दिया है। यह छूट कृषि आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियों पर ही मिलेगी

लखनऊ/कानपुर देहात। अब पैतृक संपत्ति का विभाजन करवाना आसान हो गया है। स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग ने विभाजन शुल्क को घटाकर मात्र 10 हजार रुपये कर दिया है। यह छूट कृषि आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियों पर ही मिलेगी। पारिवारिक वंशावली प्रस्तुत करना अनिवार्य है। इस कदम से संपत्ति विभाजन के पंजीकरण में वृद्धि होगी और विवाद कम होंगे।
यूपी सरकार ने पैतृक संपत्तियों के बंटवारे में स्टांप व रजिस्ट्री शुल्क में छूट देने संबंधी अधिसूचना गुरुवार को जारी कर दी है। इसमें कहा गया है कि यह छूट फर्म, सोसायटी, ट्रस्ट व कंपनी को नहीं दी जाएगी। प्रमुख सचिव स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग अमित गुप्ता की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि तीन पीढ़ी के पारंपरिक वंशजों के मध्य पैतृक अचल संपत्ति के बंटवारे पर 5000 रुपये स्टांप शुल्क और 5000 रुपये रजिस्ट्रेशन शुल्क ही अब देना होगा। यह सुविधा अधिसूचना जारी होने की तिथि से दी जाएगी। यह छूट केवल परिवार के सदस्यों के बीच पैतृक अचल संपत्तियों के बंटवारों, उत्तराधिकार और वंशजों को दी जाएगी। यह छूट केवल केवल कृषि, आवासीय या व्यवसायिक संपत्तियों पर ही दी जाएगी। अन्य प्रकार की संपत्तियों पर या औद्योगिक, संस्थागत संपत्तियों पर नहीं दी जाएगी।
सेवारत विभाग का दर्जा-
इसके साथ ही स्टापं एवं रजिस्ट्रेशन विभाग को उत्तर प्रदेश के सेवारत विभाग में शामिल किए जाने का आदेश जारी कर दिया गया है। इसके आधार पर अब विभाग को उपनिबंधक कार्यालय बनवाने के लिए आसानी से सरकारी भूमि मुफ्त में मिल जाएगी।
कैबिनेट बैठक में पारिवारिक संपत्ति बंटवारे को लेकर मिली थी राहत-
मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में योगी सरकार ने परिवारों को बड़ी राहत दी थी। कैबिनेट ने संपत्ति के बंटवारे में दस्तावेजों पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क की सीमा पांच हजार रुपये तय करने के लिए मंजूरी दी थी। यूपी सरकार ने कहा था कि अब तक संपत्ति के बंटवारे पर संपत्ति के मूल्य पर चार प्रतिशत स्टाम्प शुल्क और एक फीसद पंजीकरण शुल्क लगाया जाता था जिसकी वजह से परिवार संपत्ति के दस्तावेज दर्ज कराने से हतोत्साहित होते थे और दीवानी व राजस्व अदालतों में विवाद बढ़ते थे। बयान में कहा गया था कि इस नए प्रावधान से मुकदमेबाजी कम होने, सौहार्दपूर्ण समाधान होने, भूमि और राजस्व रिकॉर्ड को अपडेट करने और बाजार में संपत्तियों की उपलब्धता आसान होने की उम्मीद है।
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