कानपुर देहातउत्तरप्रदेशफ्रेश न्यूजशिक्षा

डीपीएड बीपीएड डिग्रीधारी शिक्षकों पर लटकी तलवार, टेट परीक्षा में नहीं हो सकते सम्मिलित

खुद की नौकरी खतरे में शिक्षक कैसे बनाएंगे दूसरों का भविष्य, जब अपना ही नहीं सुरक्षित

कानपुर देहात। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों के लिए अनिवार्य रूप से टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करने का आदेश दिया है। इससे जनपद के प्राइमरी व जूनियर स्कूलों में करीब 3 हजार शिक्षक ऐसे है जिन्होंने टीईटी परीक्षा पास नहीं की है। ऐसे में उनकी नौकरी पर संकट के बादल छा गए हैं। उधर अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बेसिक शिक्षाधिकारियों से टीईटी न करने वाले शिक्षकों की सूची तलब की है। नए आदेश के बाद टीईटी न करने वाले शिक्षक नौकरी को लेकर खासे परेशान हैं। जनपद में करीब 6 हजार शिक्षक प्राइमरी और जूनियर स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हाल ही में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से विभाग सहित शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है।

शिक्षक नेताओं का कहना है कि टीईटी परीक्षा में इंटरमीडिएट योग्यताधारी, इंटरमीडिएट में 50 फीसदी से कम अंक अर्जित करने वाले, स्नातक में 45 फीसदी से कम अंक अर्जित करने वाले, प्रशिक्षित योग्यता (बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी, बीएड) ना रखने वाले तथा डीपीएड-बीपीएड डिग्री वाले आवेदन नहीं कर सकते हैं। ऐसे में वह शिक्षक कैसे टीईटी करेंगे? जो शिक्षक प्रमोशन या समायोजन के बाद जूनियर स्कूलों में पहुंच गए हैं वह टीईटी करके नौकरी बचा सकते हैं लेकिन उनके पास एनसीटीई द्वारा निर्धारित गाइडलाइन के अनुसार शैक्षिक योग्यता होनी चाहिए। जनपद में ऐसे कई शिक्षक कार्यरत हैं जो सिर्फ इंटरमीडिएट ही पास हैं कई ऐसे शिक्षक भी हैं जो स्नातक तो किए हैं किंतु उनके 45 फीसदी से कम नंबर हैं।

ये भी पढ़े- अप्रशिक्षित शिक्षकों को बाहर निकालने के लिए क्या सरकार ने चली है कोई चाल 

कई शिक्षकों के पास प्रशिक्षित योग्यता नहीं है वह लोग टेट का फॉर्म भरने के लिए एलिजिबल नहीं हैं ऐसे में इन शिक्षकों की नौकरी पर कभी भी गाज गिर सकती है। बताते चलें सरकार ने अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए एनआईओएस से डीएलएड कोर्स अक्टूबर 2017 में शुरू किया था जिसे मानव संसाधन और विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए शुरू किया गया था।

यह कार्यक्रम उन शिक्षकों के लिए था जिन्हें शिक्षण कार्य के लिए आवश्यक प्रशिक्षण की आवश्यकता थी। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के बाद सभी शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारित की गई थी, जिसमें प्राथमिक शिक्षकों को प्रशिक्षित होना आवश्यक था। 2017 में केंद्र सरकार ने अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के माध्यम से डीएलएड कोर्स शुरू किया था ताकि कोई भी शिक्षक, अनुदेशक, शिक्षामित्र अप्रशिक्षित ना रहे। आदेश के बाद प्रत्येक जनपद में कई अनुदेशकों एवं शिक्षामित्र ने एनआईओएस से डीएलएड कोर्स पूर्ण कर लिया है किंतु बहुत से शिक्षकों ने यह कोर्स नहीं किया और अभी भी अप्रशिक्षित बने हुए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने एनआईओएस डीएलएड प्रोग्राम को शिक्षकों की नौकरी के लिए एक वैध योग्यता के रूप में मान्यता दी है। इस कोर्स को पूरा करने वाले शिक्षक नौकरी के लिए आवेदन करने और पढ़ाने के योग्य हैं तथा यह सभी टीईटी परीक्षा में भी शामिल हो सकते हैं। एनआईओएस से 18 महीने का डीएलएड पाठ्यक्रम केवल सेवारत अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए एक बार की छूट के रूप में पेश किया गया था जिसे 2017-19 के बीच लाखों अप्रशिक्षित शिक्षकों ने पूरा किया था। जिन अप्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा यह कोर्स पूरा नहीं किया गया है उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।

ये भी पढ़े-  शैक्षिक सत्र 2025-26 हेतु अनुसूचित जाति छात्रावासों में प्रवेश रिक्तियां

aman yatra
Author: aman yatra


Discover more from अमन यात्रा

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Articles

AD
Back to top button

Discover more from अमन यात्रा

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading