शिक्षा

एनसीटीई, केंद्र और राज्य सरकारों की चुप्पी से शिक्षकों में बढ़ रहा तनाव

ऊहापोह की स्थिति में शिक्षक, सर्विस में बने रहने के लिए टेट परीक्षा करनी होगी पास 

कानपुर देहात। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करना अनिवार्य हो गया है। आदेश को आए कई दिन हो चुके हैं लेकिन अब तक न तो एनसीटीई और न ही केंद्र और न ही राज्य सरकार की ओर से कोई स्पष्ट बयान जारी किया गया है। इस चुप्पी ने प्रभावित शिक्षकों की बेचैनी और तनाव को और गहरा कर दिया है।

शिक्षकों का कहना है कि फैसले में किन श्रेणियों पर टीईटी की बाध्यता लागू होगी इस पर अब तक स्थिति साफ नहीं हुई है। 23 अगस्त 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को लेकर विरोधाभासी बातें सामने आ रही हैं। ऐसे में हजारों शिक्षक असमंजस में हैं कि क्या उन्हें भी परीक्षा देनी होगी या नहीं। स्पष्टता के अभाव में एक ओर शिक्षक विरोध की राह पकड़ रहे हैं तो दूसरी ओर कई शिक्षक तैयारी में जुट गए हैं। इस ऊहापोह के बीच शिक्षकों के व्हाट्सएप समूहों पर टीईटी पाठ्यक्रम की सामग्रियां, सामान्य ज्ञान और विषयवार नोट्स खूब साझा किए जा रहे हैं। कुछ शिक्षक पूरी तरह पढ़ाई में जुट गए हैं लेकिन अधिकतर शिक्षक तनाव और चिंता में हैं। उनका कहना है कि सिर्फ विरोध से कुछ हासिल नहीं होगा और तैयारी शुरू करने पर भी यह स्पष्ट नहीं कि वास्तव में किसे परीक्षा देनी है क्योंकि परीक्षा के लिए निर्धारित न्यूनतम योग्यता कई शिक्षकों के पास नहीं है। पांच साल से अधिक सेवा अवधि वाले शिक्षकों में सबसे ज्यादा असुरक्षा है। वे मान रहे हैं कि यदि स्थिति समय रहते स्पष्ट नहीं हुई तो उनकी नौकरी संकट में पड़ सकती है। वहीं शिक्षामित्रों का उदाहरण भी उन्हें डरा रहा है जिन्हें पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सहायक अध्यापक से फिर शिक्षामित्र बना दिया गया था। शासन ने 29 और 30 जनवरी को टीईटी परीक्षा की तिथियां प्रस्तावित की हैं और आवेदन प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है। परंतु जब तक एनसीटीई और सरकारें साफ-साफ नहीं बतातीं कि किन शिक्षकों पर यह अनिवार्यता लागू होगी, किस योग्यता तक के शिक्षक इसमें आवेदन कर सकते हैं तब तक शिक्षकों में असमंजस और तनाव दूर होना मुश्किल है। शिक्षक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि तत्काल स्पष्ट बयान जारी किया जाए ताकि अफवाहों और आशंकाओं पर विराम लगे और शिक्षक तैयारी व सेवा को लेकर निश्चिंत हो सके।

यूपी में 1.30 लाख शिक्षकों की नौकरी पर संकट-

उत्तर प्रदेश में वर्तमान में 459450 शिक्षक कार्यरत हैं जिसमें करीब 310000 शिक्षक टेट परीक्षा उत्तीर्ण हैं इस प्रकार 149450 शिक्षकों को सेवा में बने रहने के लिए दो वर्ष के अंदर टेट परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी हालांकि इन दो वर्षों में करीब 19450 शिक्षक सेवानिवृत्त हो जाएंगे इस तरह 1.30 लाख शिक्षकों पर टेट परीक्षा का प्रभाव पड़ेगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन शिक्षकों की नौकरी पांच साल से कम है उनके लिए टीईटी परीक्षा पास करना अनिवार्य नहीं है लेकिन अगर वे प्रमोशन चाहते हैं तो टेट परीक्षा उनको भी उत्तीर्ण करनी होगी।

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Author: aman yatra


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