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पदोन्नति और समायोजन के संबंध में राज्य सरकार को नोटिस जारी

याचिका स्वीकार, 30 हजार शिक्षकों का समायोजन प्रभावित हो सकता है

राजेश कटियार, कानपुर देहात। मंगलवार को समायोजन को लेकर एक मुकदमे की सुनवाई उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ में हुई जिसमें सुप्रीम-कोर्ट से आए वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद नंदन और अधिवक्ता अनिंद्य शास्त्री ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रखा। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए मामले को पिछले वर्ष पदोन्नत्ति को चुनौती देने वाले शिक्षक हिमांशु राणा के मुकदमे के साथ सुनने को कहा और साथ ही सरकार को नोटिस इशू करते हुए पदोन्नत्ति और समायोजन के लिए विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा। अब दोनों मामलों की सुनवाई एक साथ होगी।

याचिकाकर्ता हिमांशु राणा के अनुसार सरकार की नियमावली ही शून्य है क्योंकि एनसीटीई द्वारा तय किये गए नियमों से अलग जाकर सरकार ने पदोन्नत्ति करनी चाही जिस पर इलाहबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने पिछले वर्ष स्थगनादेश दिया था और इस वर्ष चोरी छिपे समायोजन किया गया जोकि नियम विरुद्ध है। सरकार की दलीलों का अंत 1 सितंबर 2025 को महाराष्ट्र और तमिलनाडु के मामले में आये निर्णय के पश्चात् हो गया है जिसमें पदोन्नत्ति और समायोजन को नवीन नियुक्ति मानते हुए टीईटी को अनिवार्य किया गया है।

हिमांशु के अनुसार सरकार द्वारा किये गए समायोजन से लगभग 30 हजार शिक्षक प्रभावित होंगे जिन्हें सरकार को उनके पुराने पदों पर वापिस भेजना होगा क्योंकि यहाँ मामला केवल हेड शिक्षकों से जुड़ा नहीं है बल्कि ऐसे शिक्षकों के समायोजन से भी है जिनके जाने से विद्यालय एकल हो गए हैं जोकि आरटीई के विरुद्ध है। मामले की अगली सुनवाई जल्द ही होगी जिसमें समस्त मुकदमों को अंतिम रूप से निस्तारित करने की गुजारिश की गई है।

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Author: aman yatra


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