अपमानजनक लगने लगा है ‘नेता’ जैसा शब्द : सीएम योगी
सीएम योगी ने कहा कि नेता जैसा सम्मानजनक शब्द अब अपमानजनक लगने लगा है. योगी ने सपा सदस्यों को शिष्टाचार सीखने की नसीहत दी.
इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री और सपा सदस्यों के बीच काफी तीखी नोकझोंक हो गई. योगी ने सपा सदस्यों को शिष्टाचार सीखने की नसीहत दी और कहा, ”जो जिस भाषा को समझेगा, उसे उसी भाषा में जवाब दिया जाएगा.” इस दौरान सपा के सदस्य खड़े होकर विरोध जताने लगे तो सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने हस्तक्षेप करते हुए उन्हें बैठकर मुख्यमंत्री की बात सुनने को कहा. योगी ने कहा, ”आजादी के पहले जो नेता शब्द सम्मान का प्रतीक था… आजादी के बाद आज ऐसी स्थिति क्यों पैदा हुई कि आज वही शब्द अपमानजनक प्रतीत होने लगा.” उन्होंने कहा ”अगर किसी को लगता है कि वह जितनी उद्दंडता कर लेगा, जितनी जोर से सदन में चिल्ला लेगा, उसके लिए उसकी तारीफ होगी, तो मुझे लगता है कि यह उसकी गलतफहमी है. जनता इसको बहुत अच्छे ढंग से नहीं लेती है.”
स्टेट गेस्ट हाउस कांड कौन नहीं जानता?- योगी
योगी ने विपक्ष खासकर सपा सदस्यों पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, ”नेता विरोधी दल (अहमद हसन) को छोड़ दें तो उनके जो अन्य सहयोगी हैं, उनसे बहुत उम्मीद भी नहीं की जाती. उनका बहुत पुराना इतिहास भी रहा है महिलाओं का अपमान करने का. स्टेट गेस्ट हाउस कांड कौन नहीं जानता? इन लोगों का जो इतिहास रहा है, उसको देखते हुए हर व्यक्ति इस बात को जानता है कि कैसे-कैसे कृत्य हुए हैं, लेकिन सदन के अंदर तो कम से कम इन चीजों को बचाकर के रखिए.”
गौरतलब है कि गत 18 फरवरी को राज्य विधानमण्डल के बजट सत्र की शुरुआत पर समवेत सदन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण के दौरान तमाम विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया था. मुख्यमंत्री ने वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान भारत में संक्रमण के खिलाफ लड़ाई का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देते हुए कहा कि नेतृत्व बदल जाता है तो कैसे देश की तकदीर बदल जाती है.
योगी ने शरशैया पर लेटे भीष्म पितामह द्वारा युधिष्ठिर से बातचीत के दौरान पढ़े गए श्लोक ”राजा कालस्य कारणम” का जिक्र करते हुए कहा कि किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि राजा ही अपने समय की परिस्थितियों का निर्माण करता है, अपने समय के स्वरूप का निर्धारण करता है और वह अपने समय का निर्माता होता है. राजा परिस्थितियों का परिणाम नहीं, बल्कि उनका निर्माता होता है. उन्होंने कहा, ”पांच हजार वर्ष पहले कही गईं यह बातें पिछले छह वर्षों के दौरान दिखी होंगी कि कैसे भारत की तस्वीर को वैश्विक मंच पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम हुआ है.”