कविता
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तितली है खामोश ! – डॉo सत्यवान सौरभ
बदल रहे हर रोज ही, हैं मौसम के रूप ! ठेठ सर्द में हो रही, गर्मी जैसी धूप !!…
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डिग्रियां टंगी दीवार सहारे,मेरिट का ऐतबार नहीं है।
एक बेरोजगार का दर्द डिग्रियां टंगी दीवार सहारे,मेरिट का ऐतबार नहीं है। सजी है अर्थी नौकरियों की,देश में अब रोजगार…
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