कानपुर, अमन यात्रा। स्वदेशी कोवैक्सीन की सफलता में शहर का अहम योगदान रहा है। स्वदेशी वैक्सीन के तीन चरणों में हुए ट्रायल में शहरवासियों ने भी पूरा सहयोग किया। देशभर के 12 स्थानों में हुए ट्रायल में उप्र के एकमात्र शहर कानपुर को भी सेंटर बनाया गया था। यहां के आर्य नगर स्थित प्रखर हॉस्पिटल में तीनों चरण के ट्रायल हुए। ट्रायल के चीफ गाइड का कहना है कि कोवैक्सीन कोरोना वायरस के ब्रिटेन एवं दक्षिण अफ्रीका में मिले नए स्ट्रेन (रूप) में भी प्रभावी है।

देश में जब कोरोना वायरस कहर बरपा रहा था। उस समय चीन के वुहान से एक युवती आई थी, जो कोरोना संक्रमित थी। महाराष्ट्र के पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआइवी) में युवती के शरीर से कोरोना वायरस लेकर लैब में उसे निष्क्रिय कर तीन स्ट्रेन तैयार किए गए। उस कोविड-19 के बीबीवी-152 ए, बी व सी वायरस के इन स्ट्रेन के फार्मूले से इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) एवं भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने कोवैक्सीन तैयार की है

क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति

शुरुआती परीक्षण के नतीजों से उत्साहित होकर ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआइ) से मानव पर क्लीनिक ट्रॉयल की अनुमति मांगी। अनुमति मिलने के बाद देश के 12 सेंटरों पर ट्रॉयल शुरू किया, जिसमें यूपी से कानपुर भी शामिल किया गया। सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद परीक्षण शुरू किया गया।

पहले चरण में 33 वॉलंटियर्स

शहर में पहले चरण में आर्य नगर स्थित निजी अस्पताल में जुलाई 2020 में 33 वॉलंटियर्स (18-55 वर्ष की उम्र के स्वस्थ व्यक्ति) लिए गए। वैक्सीन लगाने से पहले कोरोना की आरटीपीसीआर जांच, रक्त की जांच एवं एंटीबॉडी की जांच की गई। फिर वैक्सीन की दो डोज लगाईं, जिसमें 14 दिन का अंतर रहा। उसके बाद वॉलंटियर्स की एंटीबॉडी जांच 14 दिन, 28 दिन, 42 दिन, 104 दिन एवं 194 दिन में कराई गई।

दूसरे चरण में 42 वॉलंटियर्स

दूसरे चरण का ट्रायल सितंबर 2020 में हुआ, जिसमें 42 वॉलंटियर्स लिए गए। इसमें 12-65 वर्ष की उम्र के साथ ही नियंत्रित मधुमेह एवं ब्लड प्रेशर वाले शामिल किए गए। पहली और दूसरी डोज लगाने के बीच 28 दिन का अंतर रखा गया। इस बार एंटीबॉडी जांच 28 दिन, 42 दिन, 56 दिन, 108 दिन एवं 208 दिन में कराई गई। उसके रिजल्ट अच्छे मिल रहे हैं।

अंतिम चरण में 2076 वॉलंटियर्स

अंतिम यानी तीसरे चरण का ट्रॉयल दिसंबर 2020 में शुरू हुआ, जिसमें शहर से 2076 वॉलंटियर्स लिए गए। इसमें देश भर से 28,500 वालंटियर्स शामिल किए गए। इसमें वैक्सीन पहले और 28वें दिन लगाई गई। हालांकि ट्रायल के दौरान की डीजीसीआइ से इमरजेंसी ट्रॉयल की अनुमति मिल गई। तीसरे फेज के क्लीनिक ट्रायॅल के डाटा जारी किए गए हैं, जिसमें वैक्सीन की सफलता दर 81 फीसद बताई गई है।

इनका ये है कहना 

वैक्सीन में वायरस के तीन स्ट्रेन लिए गए थे, जो कोरोना के किसी भी रूप से निपटने में सक्षम हैं। एंटीबॉडी भी अच्छी बन रही है। वैक्सीन के रिजल्ट उसकी बेहतर स्थिति को बताते हैं, जो अन्य वैक्सीन के मुकाबले अधिक प्रभावी भी है। देश के सबसे बड़े क्लीनिकल ट्रॉयल शोध को विश्व के प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लैंसेट ने भी प्रकाशित किया है, जिसमें कानपुर के सेंटर का भी जिक्र किया गया है।  – प्रो. जेएस कुशवाहा, चीफ गाइड कोवैक्सीन ट्रॉयल, प्रखर हॉस्पिटल