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आयुषी का इंट्रोडक्शन –
आयुषी सिरोंज में ही पली-बढ़ी और यहीं इनकी शुरुआती शिक्षा हुई. उनके पिताजी व्यापारी हैं और माता जी गृहणी. आयुषी के क्लास दसवी में 91.2 प्रतिशत अंक आये थे और क्लास बारहवीं में 90.4 प्रतिशत. इसके बाद उन्होंने भोपाल के एक कॉलेज से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया. स्नातक पूरा करने के बाद वे एक कंपनी में नौकरी करने लगी जहां उन्होंने दो साल काम किया. इस दौरान ही उन्हें यूपीएससी का ख्याल आया और नौकरी छोड़ वे परीक्षा की तैयारी में लग गईं. नौकरी छोड़ने का निर्णय आसान नहीं था पर आयुषी को लगा कि उनका सपना ज्यादा बड़ा है.
कोचिंग से ली मदद –
आयुषी कहती हैं कि कोचिंग चुनने या न चुनने का निर्णय हर इंडिविजुअल का अपना होता है पर इससे एक दिशा मिल जाती है और साफ तौर पर पता चल जाता है कि किस ओर जाना है. वे तो अपने कोचिंग के नोट्स को तैयारी में अहम स्थान देती हैं और अपनी काफी पढ़ाई उन्होंने इन्हीं नोट्स से की. हालांकि मेहनत तो आपको ही करनी होती है और बिना सेल्फ स्टडी के काम भी नहीं चलता पर चाहें तो सही गाइडेंस के लिए कोचिंग ज्वॉइन कर सकते हैं.
दूसरे प्रयास के बाद बदला ऑप्शनल –
आयुषी का जब दूसरे अटेम्पट में भी सेलेक्शन नहीं हुआ तो उन्होंने अपना ऑप्शनल बदला. पहले दो प्रयास उन्होंने मैथ्स विषय से दिए थे लेकिन तीसरे में एंथ्रोपोलॉजी को चुना. उन्हें लगा कि जितनी मेहनत वे मैथ्स विषय के साथ कर रही हैं उसके मुताबिक उन्हें आउटपुट नहीं मिल रहा. हालांकि दूसरे अटेम्पट का रिजल्ट आने के बाद उनके पास एंथ्रोपोलॉजी पढ़ने के लिए केवल दो महीने का समय था पर उन्होंने इसी दौरान तैयारी की और सफल भी हुईं.
पिछले अटेम्पट की गलतियां –
आयुषी का मानना है कि पिछले अटेम्पट्स में से पहले में उन्होंने बहुत सारे सोर्स इकट्ठा कर लिए थे जिससे वे ठीक से रिवीजन नहीं कर पाई थी और न ही जितने देने चाहिए उतने प्रैक्टिस टेस्ट दे पाई थी. प्रैक्टिस न होने की वजह से उनका प्री क्वालीफाई नहीं हुआ. उन्होंने आगे के दोनों प्रयासों में इस गलती को सुधारा और प्री एग्जाम के पहले कम से कम 50 मॉक दिए. वे आगे कहती हैं कि केवल मॉक देने से ही काम नहीं चलता पेपर को एनालाइज करना भी बहुत जरूरी है. देखें कि आप कहां और क्या गलती कर रहे हैं और उसे दूर करें. दूसरे पेपर में जब वे मेन्स में सेलेक्ट नहीं हुईं थी उस समय के लिए उन्हें लगता है कि उनके आंसर्स ठीक नहीं थे. इस कमी को सुधारने के लिए भी उन्होंने जमकर प्रैक्टिस की और खूब पेपर दिए ताकि प्रभावशाली उत्तर लिख पाएं.
आयुषी की सलाह –
दूसरे कैंडिडेट्स को आयुषी यही सलाह देती हैं कि अपने सोर्स सीमित रखें और उन्हें बार-बार पढ़ें. रिवीजन ही इस परीक्षा में सफलता का आधार बनता है. इसके साथ ही जितना संभव हो मॉक टेस्ट दें और खूब पेपर सॉल्व करें. प्रैक्टिस ही आपको परफेक्ट बनाएगी. आप जान पाएंगे की आंसर कैसे लिखना है, उसमें कौन-कौन से एलिमेंट डालने हैं. आंसर राइटिंग को वे इसीलिए जरूरी मानती हैं. वे कहती हैं टॉपर्स के आंसर देखें और उनसे सीखें की वे कैसे उत्तर लिखते हैं, उनके वीडियोज भी देख सकते हैं. उत्तर को जितने अच्छे से प्रेजेंट करेंगे उतने ही अच्छे अंक आने की संभावना रहती है. उसमें फ्लोचार्ट, डायग्राम्स, केस स्टडी, एग्जाम्पल्स आदि डालें.
अंत में आयुषी यही कहती हैं कि चूंकि कई बार यह जर्नी बहुत लंबी हो जाती है, ऐसे में अपने दिमाग को शांत और संतुलित रखना बहुत जरूरी है. केवल पढ़ाई न करें बल्कि जो काम आपके दिमाग को रेस्ट देते हैं उन पर भी समय खर्च करें. ये समझ लें कि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है और कड़ी मेहनत करने वाले को सफलता जरूर मिलती है.
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