कानपुर, अमन यात्रा। Kanpur Bus Accident कानपुर-इटावा हाईवे पर मंगलवार रात हुए दर्दनाक हादसे का सच बेहद चौंका देने वाला है। हादसे के बाद जब इसकी जांच बैठाई गई तो एक-एक कर प्रत्येक रहस्य से पर्दा उठ रहा है। गौरतलब है कि इस हादसे की कोई एक ठोस वजह नहीं है, बल्कि वजहों की लंबी फेहरिस्त है। एक साथ 18 लाेगों की मौत…यह सुनकर ही रूह कांप जाती है, तो जरा उन हाथों के बारे में सोचिए जिन्होंने एक साथ इतने शवों का पोस्टमार्टम किया होगा। एक-एक कड़ी मिलाएं तो निष्कर्ष यही निकलता है कि हादसा किसी एक की नहीं बल्कि कई विभाग और लोगों की लापरवाही के कारण हुआ है। सचेंडी हादसे के विश्लेषण की इस कड़ी में हम आपको उन बड़ी और अनापेक्षित वजहों के बारे में बताएंगे जो कि अब तक सामने आई हैं।
यह है प्राथमिक वजह: एडीजी भानु भाष्कर और कमिश्नर डा. राजशेखर ने जांच के आदेश दिए थे कि हादसा क्यों हुआ और क्या कारण थे। शुरुआती जांच में यातायात नियमों का पालन न करना ही हादसे की मुख्य वजह माना जा रहा है। हालांकि अभी तक इतने बड़े मामले में उच्चाधिकारियों की ओर से कोई जिम्मेदारी तय नहीं की गई है।
अंतरराज्यीय बस सेवा पर रोक, फिर भी जा रही थी निजी बस: कानपुर-इटावा मार्ग के सचेंडी में जो भीषण हादसा हुआ उसकी सबसे प्रमुख वजह यही है। दरअसल, कोरोना संक्रमण को देखते हुए परिवहन आयुक्त ने अंतरराज्यीय बस सेवा पर पिछले माह 15 जून तक रोक लगाने के निर्देश दिए थे। जो रोडवेज के साथ निजी बसों पर भी लागू था। रोक को लेकर उप परिवहन आयुक्त, आरटीओ, एआरटीओ, रोडवेज क्षेत्रीय प्रबंधकों व सहायक क्षेत्रीय प्रबंधकों को निर्देश की कापी भी भेजी गई। रोडवेज बसों को तो दूसरे प्रदेशों में जाने से रोक दिया गया लेकिन निजी बसों का संचालन हो रहा है। ये बसें निर्देशों की अवहेलना कर मजदूरों और अन्य यात्रियों गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित अन्य प्रदेशों में ले जा रही है। परिवहन आयुक्त के निर्देश को दरकिनार कर बसों का संचालन तो किया ही जा रहा है इनमें निर्धारित क्षमता से अधिक सवारियां भी ढोई जा रही हैं।
मंगलवार को सचेंडी में दुर्घटनाग्रस्त हुई निजी बस में क्षमता से अधिक सवारी थी। इसको आरटीओ अफसरों ने भी स्वीकार किया है।
आरटीओ के कागजों में बस और टेंपो फिट: आरटीओ अधिकारियों ने सचेंडी में हुए हादसे की प्रारंभिक जांच आख्या परिवहन आयुक्त को भेजी है। आख्या में जानकारी दी गई है कि निजी बस संख्या यूपी 93 बीटी 6221 कानपुर से अहमदाबाद जा रही थी। टेंपो संख्या यूपी 77 टी 5985 से कानपुर-इटावा हाईवे पर टकरा गई। निजी बस मसीहागंज, सीपरी बाजार, झांसी के अर्जुन सेजवार के नाम है। इसका फिटनेस प्रमाण पत्र 19 जुलाई 2022 तक बीमा की वैधता 23 नंबर 2021 तक परमिट की वैधता 14 जून 2023 तक, टैक्स जमा करने की वैधता 30 अप्रैल 2021 तक है। टेंपो कानपुर देहात, करसा के अमित कुमार के नाम है। टेंपो के फिटनेस की वैधता 18 अक्टूबर 2021, बीमा की वैधता 13 अक्टूबर 2021, परमिट की वैधता 16 अक्टूबर 2024 तक है। आरटीओ प्रवर्तन राकेश सिंह व एआरटीओ प्रवर्तन सुनील दत्त ने परिवहन आयुक्त को प्रारंभिक जांच की आख्या भेजी है। टेंपो कानपुर देहात के पते पर रजिस्टर्ड है। परमिट के मुताबिक अकबरपुर से 40 किमी की परिधि में टेंपो का संचालन हो सकता है। ऐसे में बस का गुजरात तक जाना बड़ी लापरवाही को परिलक्षित करता है।
प्रतिबंध के बाद भी सवारियां ढो रहे डीजल टेंपो: शहर में कई साल पहले डीजल वाले टेंपो चलन से बाहर कर दिए गए थे। इसके बाद भी पुलिस और आरटीओ की अनदेखी से आउटर क्षेत्र में देहात परमिट पर पंजीकृत इन जर्जर डीजल वाले टेंपो से सवारियां ढोई जा रही हैं। इन टेंपो के चालक क्षमता से अधिक सवारियां बैठाकर चलते हैं। इनमें न तो हेड और बैक लाइट दुरुस्त होती है न ही इनके इंडीकेटर काम करते हैं। मंगलवार को जो टेंपो हादसे का शिकार हुआ, वो भी जर्जर था। उसमें हेडलाइट नहीं थी, बीच में सिर्फ एक एलईडी लाइट लगी थी। इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि यह भी हादसे की अहम वजह थी।
हादसे के पीछे ये भी हैं प्रमुख वजह:
- 36 सीटर नान एसी बस में 72 सवारियां ले जाई जा सकती हैं, मगर दुर्घटनाग्रस्त बस में 110 से 120 सवारियां थीं। सीट के अलावा गैलरी में स्टूल पर सवारियां बिठाई गई थीं।
- टेंपो में अमूमन सात आठ सवारियां बैठती हैं, जबकि हादसाग्रस्त टेंपो में एक साथ 21 सवारियां बैठी हुई थीं।
- दोनों ही सवारी गाडिय़ों में कोविड नियमों का कोई पालन नहीं हो रहा था।
- बस यात्रियों की मानें तो चालक ने शराब पी और मना करने पर सवारियों के साथ अभद्रता की।
- ठसाठस भरकर जा रही बस को चेक करने की जहमत पुलिस या आरटीओ ने नहीं उठाई।
- अतिरिक्त सात किमी की दूरी तय न करना पड़े, इसलिए टेंपो हाईवे पर उल्टी दिशा में यात्रा कर रहा था।
फरार बस चालकों का नहीं चला पता: एडीजी भानु भाष्कर ने बताया कि फरार बस चालकों का अब तक पता नहीं चल सका है। उसकी तलाश के लिए बस मालिक से संपर्क किया जा रहा है, ताकि उनके निवास का पता लगाया जा सके। जल्द ही दोनों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। पूरे प्रकरण में सबसे बड़ी गलती बस चालक की ही है।