नोएडा के सुपरटेक केस में यूपी सरकार की बड़ी कार्रवाई, दोषी मिले नोएडा प्राधिकरण के 26 अफसर
देशभर में नोएडा प्राधिकरण की छवि खराब कराने वाले सुपरटेक मामले में 26 अधिकारी दोषी पाए गए हैं। विशेष जांच दल (एसआइटी) की रिपोर्ट मिलने के अगले दिन ही उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई की है।

अपर मुख्य सचिव औद्योगिक विकास अरविंद कुमार ने बताया कि समिति की रिपोर्ट में 26 अधिकारियों की संलिप्तता दर्शाई गई है, जिसमें दो की मृत्यु हो चुकी है। चार अधिकारी सेवारत हैं और बीस सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सेवारत चार में से तत्कालीन नियोजन सहायक मुकेश गोयल को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। रिपोर्ट आने के बाद वर्तमान में यमुना प्राधिकरण में प्रभारी महाप्रबंधक के पद पर तैनात तत्कालीन सहयुक्त नगर नियोजक ऋतुराज व्यास, तत्कालीन प्लानिंग असिस्टेंट (वर्तमान में उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण में तैनात) अनीता और सहयुक्त नगर नियोजक विमला सिंह को भी निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
सेवानिवृत्त अन्य अधिकारियों के विरुद्ध नियम अनुसार कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। इनके सहित मै. सुपरटेक के चार निदेशक और दो वास्तुविद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराते हुए विजिलेंस को जांच सौंपी गई है। सक्षम स्तर से स्वीकृति लेकर इन सभी के खिलाफ न्यायालय में भी वाद दायर दिया जाएगा। इसी तरह दोनों आर्किटेक्ट और उनके संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मामला काउंसिल आफ आर्किटेक्चर को भी अविलंब भेजने का निर्देश दिया गया है। उल्लेखनीय है कि इस प्रकरण में 2004 से 2017 तक प्राधिकरण में तैनात रहे अधिकारियों की भूमिका की जांच की गई। कुल चालीस पन्ने की रिपोर्ट में लगभग 150 संलग्नक हैं।
भूखंड में मिला ली ग्रीनबेल्ट की 7000 वर्गमीटर जमीन : एसआइटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मै. सुपरटेक ने ले-आउट में आरक्षित ग्रीनबेल्ट की 7000 वर्गमीटर जमीन भी भूखंड में मिलाकर अतिक्रमण कर लिया। रिपोर्ट में उल्लेख है कि इस मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ प्राधिकरण स्तर पर कार्रवाई प्रक्रिया में है। शासन ने ग्रीनबेल्ट को अतिक्रमण मुक्त कराने और चिन्हित अधिकारियों के खिलाफ पंद्रह दिन में कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
इन सबकी निकली मिलीभगत
सेवारत अधिकारी
- मुकेश गोयल : तत्कालीन नियोजन सहायक
- ऋतुराज व्यास : तत्कालीन सहयुक्त नगर नियोजक
- अनीता : तत्कालीन प्लानिंग असिस्टेंट
- विमला सिंह : सहयुक्त नगर नियोजक
सेवानिवृत्त अधिकारी
- मोहिंदर सिंह : तत्कालीन सीईओ नोएडा
- एसके द्विवेदी : तत्कालीन सीईओ नोएडा
- आरपी अरोड़ा : तत्कालीन अपर सीईओ नोएडा
- यशपाल सिंह : तत्कालीन विशेष कार्याधिकारी
- एके मिश्रा : तत्कालीन नगर नियोजक
- राजपाल कौशिक : तत्कालीन वरिष्ठ नगर नियोजक
- त्रिभुवन सिंह : तत्कालीन मुख्य वास्तुविद नियोजक
- शैलेंद्र कैरे : तत्कालीन उप महाप्रबंधक (ग्रुप हाउसिंग)
- बाबूराम : तत्कालीन परियोजना अभियंता
- टीएन पटेल : तत्कालीन प्लानिंग असिस्टेंट
- वीए देवपुजारी : तत्कालीन मुख्य वास्तुविद नियोजक
- एनके कपूर : तत्कालीन एसोसिएट आर्किटेक्ट
- प्रवीण श्रीवास्तव : तत्कालीन सहायक वास्तुविद
- ज्ञान चंद : तत्कालीन विधि अधिकारी
- राजेश कुमार : तत्कालीन विधि सलाहकार
- विपिन गौड़ : तत्कालीन महाप्रबंधक
- एमसी त्यागी : तत्कालीन परियोजना अभियंता
- केके पांडेय : तत्कालीन मुख्य परियोजना अभियंता
- पीएन बाथम : तत्कालीन अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी
- एसी सिंह : तत्कालीन वित्त नियंत्रक
सुपरटेक के निदेशक
- आरके अरोड़ा
- संगीता अरोड़ा
- अनिल शर्मा
- विकास कंसल
आर्किटेक्ट और उनकी फर्म
- दीपक मेहता : दीपक मेहता एंड एसोसिएट्स
- नवदीप : मोदार्क आर्किटेक्ट
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