कविता
।। चिपको आंदोलन महज विद्रोह नही विरोधियों के खिलाफ ये,हैं माध्यम जन चेतना को जगाने का पर्यावरण संरक्षण दृष्टिकोण से ।।
अमन यात्रा
।। चिपको आंदोलन महज
विद्रोह नही विरोधियों के खिलाफ
ये,हैं माध्यम जन चेतना को जगाने का
पर्यावरण संरक्षण दृष्टिकोण से ।।
# जुनून रग रग में भरकर वो सोते हैं, जगते हैं और राह पर निकलते हैं ।
जो,प्रकृति या कुदरत वास्ते !
जां अपनी न्योछावर करते हैं ।।
पर्यावरण से खिलवाड़ के खामियाजे
सब,अदा करते हैं फिर भी
कुंभकरण की निद्रा की भांति देर तलक आज भी सोते हैं वो
पेड़ो का कटना,जंगल का तहस नहस होना
आबादी का जंगल को वीरान करना ।
छेड़छाड है कुदरत के नियम से,
उसके परिणाम हैं।
ग्लेशियर का पिघलना, ओज़ोन स्तर का घटना और प्राकृतिक असंतुलन ।
बेमौसम बारिश,बदलते ऋतुओं के आयाम,तूफान और आंधी
ये हैं इसके साक्षात परिणाम ।।
आइए मिलकर,
आगे आए,हाथों का एकजुट करे
कुछ नेक कर्म कुदरत के आंचल में भरे ।।
पौधों को पेड़ो में और पेड़ो को वृक्षों में परवर्तित करे ।।
।। संकल्प ले ,कुदरत को हरा भरा हैं रखना
इसके विरुद्ध घटित हर चाल को विफल करना हैं ।।
हरित नमन ।।
स्नेहा सिंह(रचनाकार,पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक )कानपुर उत्तर प्रदेश