पुखरायां कानपुर देहात। कस्बे के शास्त्री नगर में मुस्लिम धर्म के लोग द मिलाद-उन-नबी को पैगंबर साहब के जन्मदिन के रूप में हर साल मनाते हैं और हर साल यह त्योहार इस्लाम के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है।
इस दिन को मुस्लिम लोग जुलूस निकालकर मनाते हैं, मगर इस बार कोरोना की वजह से ऐसा हो पाना मुश्किल रहा हालांकि मुस्लिम समुदाय ने इस पवित्र त्यौहार को बड़े ही हर्ष उल्लास व शांति पूर्ण ढंग से त्यौहार मनाया माना जाता है कि मिलाद-उन-नबी शोक का भी दिन माना जाता है, क्योंकि रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन ही पैगंबर मुहम्मद साहब खुदा के पास वापस लौट गए थे। यह उत्सव मुहम्मद साहब के जीवन और उनकी शिक्षाओं की भी याद दिलाता है।
मिलाद-उन-नबी इस्लाम के प्रमुख पैगंबर मुहम्मद साहब का जन्मोत्सव है। ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार, मुहम्मद साहब का जन्म सन् 570 में सऊदी अरब में हुआ था। इस्लाम के ज्यादातर विद्वानों का मत है कि मुहम्मद का जन्म इस्लामी पंचांग के तीसरे महीने के 12वें दिन हुआ है। अपने जीवनकाल के दौरान, मुहम्मद साहब ने इस्लाम धर्म की स्थापना की, जो अल्लाह की इबादत के लिए समर्पित था। सन् 632 में पैगंबर मुहम्मद साहब की मृत्यु के बाद, कई मुसलमानों ने विविध अनौपचारिक उत्सवों के साथ उनके जीवन और उनकी शिक्षाओं का जश्न मनाना शुरू कर दिया कस्बे में भी इस त्यौहार को शांति पूर्ण ढंग से मनाने में प्रशासन की अहम भूमिका रही व कोतवाल बीएल यादव ने शांति समिति की बैठक मे सभी समुदाय के धर्म गुरुओं से अपील की थी कि इन आगामी पवित्र त्यौहारों को शांति पूर्ण ढंग से कोरोना वैश्विक महामारी को देखते हुए ,जारी की गयी शासन की गाइड लाइन द्वारा मनाये व घरों में ही इबादत करें। इस दौरान रियाज़ क़ुरैशी,हसन, शकील, फरमान व ईरशाद आदि मौजूद रहे।