परिषदीय विद्यालयों में उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल कर सकेंगे परिसर में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र
बुनियादी शिक्षा की नींव को और मजबूत करने के लिए सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी स्कूल के रूप में संचालित करने के निर्णय के बाद एक ही परिसर में स्थित आंगनवाड़ी केंद्र परिषदीय विद्यालयों में उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल कर सकेंगे।

अमन यात्रा/ लखनऊ, कानपुर देहात। बुनियादी शिक्षा की नींव को और मजबूत करने के लिए सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी स्कूल के रूप में संचालित करने के निर्णय के बाद एक ही परिसर में स्थित आंगनवाड़ी केंद्र परिषदीय विद्यालयों में उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल कर सकेंगे। जनपद के ऐसे विद्यालय जिनके परिसर में आंगनवाड़ी केंद्र संचालित हैं उन स्कूलों के नोडल अध्यापक से आपसी समन्वय स्थापित करते हुए विद्यालय में उपलब्ध विभिन्न संसाधन तथा पुस्तकालय, खेलकूद सामग्री प्रिंटरिच मैटीरियल, कहानी कविताओं से संबंधित पोस्टर्स पुस्तकें इत्यादि का प्रयोग कर सकेंगे। इसके लिए स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद ने सभी जनपदों के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए हैं।
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जिले में करीब 3000 आंगनवाड़ी केंद्र हैं। इन केंद्रों पर करीब डेढ़ लाख नौनिहाल पंजीकृत हैं। अब तक सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों से नौनिहालों को पोषण देने के साथ ही शारीरिक गतिविधियों पर ध्यान देती थी। बच्चों की शिक्षा पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था लेकिन अब प्रदेश सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से शिक्षा पर भी ध्यान दे रही है। अब तक जिस तरह कान्वेंट विद्यालयों में प्री-प्राइमरी के अंतर्गत प्ले ग्रुप (पीजी) व किंडर गार्डन (केजी) की कक्षाएं संचालित होतीं हैं उसी तरह आंगनबाड़ी केंद्रों पर नन्हें-मुन्ने बच्चों को प्री-प्राइमरी के तहत शिक्षा दी जाएगी साथ ही विद्यालय कैंपस में स्थित आंगनवाड़ी केंद्र विद्यालयों के संसाधनों का भी उपयोग कर सकेंगे।
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