अनिल दोहरे
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साहित्य जगत
गुंडा भईया
चोर ले जाता है पैसे गुल्लक तोड़ के कानून सोता है अपनी रजाई ओढ़ के हाथ में लेके लाठी डण्डे…
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कविता
मिर्च मसाला
थोड़ा- थोड़ा पैसा मिलता रहे मिर्च, मसाला घर का चलता रहे पूरी होती रहे हर जरुरत जिन्दगी लगती रहे खूबसूरत…
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गीत
मिलने का बहाना
नजरें चुरा के जमाने से तुम मिलने आना किसी बहाने से तुम। लोग खड़ी करेंगे दीवार उठाएंगे उंगलियां बेशुमार। जिनको…
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