कानपुर

Kanpur Foundation Day 2021: 218 वर्षों में कितना बदल गया पूरब का मैनचेस्टर

 सन् 1803 में कानपुर को जिला घोषित किया गया था। आज यानि 24 मार्च को कानपुर अपना 218वां जन्मदिवस मना रहा है। यह शहर अपने पौराणिक ऐतिहासिक और औद्योगिक महत्व के लिए जाना जाता है। कानपुर की धरती राजनेताओं से लेकर उद्याेगपतियों की पालनहार रही है।

कानपुर, अमन यात्रा । भारत के मशहूर शहर या प्रमुख औद्योगिक केंद्रों की बात हो और कानपुर शहर का ज़िक्र न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। आज अपने 218 वर्ष पूर्ण कर चुके कानपुर ने अब तक कई उतार-चढ़ाव देखे। हालांकि अपने ऐतिहासिक और फिर औद्याेगिक महत्व के कारण लोकप्रिय मैनचेस्टर ऑफ ईस्ट आज अपने अस्तित्व के लिए लड़ाई लड़ रहा है। आपको ये भी बता दें कि कानपुर को जिला घोषित करने के पहले इसमें 15 परगनों को सम्मिलित किया गया था। जिनमें भोगनीपुर, सिकंदरा, अकबरपुर, बिठूर, शिवराजपुर, डेरापुर, घाटमपुर, जाजमऊ, सलेमपुर, अमौली, कोढ़ा, साढ़, बिल्हौर, औरैया और कन्नौज शामिल थे।

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शहर के नाम में हैं कई किंवदंतियां: कई रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया गया है कि 1803 में जिला घोषित होने से पूर्व कुल 21 बार इस शहर का नाम बदला गया। शहर का CAWNPOOR(1770)से Kanpur(1948) तक सफर भी काफी अलग था, क्योंकि वैसे तो शहर की स्थापना सचेंडी के राजा हिन्दू सिंह ने ‘कान्हपुर’ के रूप में की थी, लेकिन उसके बाद यहां शासन करने आए मुगल व अंग्रेजों ने इसका नाम अपनी सहूलियत के हिसाब से रखा। फिलहाल जिले का नाम कान्हपुर हो, कर्णपुर या कानपुर हो यहां के चर्चे देशभर में है।

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कानपुर का औद्योगिक महत्व: एक समय था जब पूरब का मैनचेस्टर कहे जाने वाले इस शहर का दुनियाभर में डंका बजता था। यहां की लाल इमली, म्योर मिल, एल्गिन मिल, कानपुर कॉटन मिल और अथर्टन मिल काफी प्रसिद्ध थीं। इन्हीं के दम पर कानपुर को ‘मिलों की नगरी’ की पहचान मिली। इसे शहर का दुर्भाग्य कहें या विडंबना कि वर्तमान समय में शहर में उद्याेग संकीर्ण हो चुका है। यद्यपि कानपुर शहर में आज लेदर, प्लास्टिक, इंजीनियरिंग, डिटर्जेंट, होजरी, गारमेंट्स मैन्युफैक्चरिंग, टेक्सटाइल, पैकेजिंग, आयरन, स्टील बर्तन, बिस्कुट, मसाले, पान मसाला और वनस्पति से जुड़े लघु उद्योग तेजी से उभर रहे हैं। ये शहर मिलों की नगरी कहे जाने के वक्त भी बड़ी संख्या में कामगारों को रोजगार देता था और आज भी लोगों को रोजगार दे रहा है।  दादानगर, फजलगंज, रूमा, कालपी रोड, जाजमऊ, चौबेपुर मंधना, पनकी, भौंती में इसका प्रत्यक्ष उदाहरण देखा जा सकता है। बात करें शहर के प्रमुख बाजारों की तो आज भी यहां के थोक बाजार देश भर में उद्योग फैलाकर लोगों की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।

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कानपुर में बनने से जा रहा मेगा क्लस्टर पार्क: देश भर में बनने वाले सात मेगा क्लस्टर टेक्सटाइल पार्क में से एक कानपुर में बनाया जाएगा। प्रदेश में दो टेक्सटाइल पार्क बनाए जाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वस्त्र मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है। मेगा टेक्सटाइल क्लस्टर में वस्त्र बनाने से संबंधित सभी हुनरमंद सिलाई-कढ़ाई से लेकर उत्पाद बनाने का कार्य करेंगे। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि कानपुर जल्द ही विकसित शहराें की सूची में शामिल होकर पुन: अपना इकबाल बुलंद करेगा।

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विकसित शहर की ओर अग्रसर कानपुर: वैसे तो कानपुर में पहले से ही गणेश शंकर विद्यार्थी चकेरी एयरपोर्ट है। इसका विस्तार भी लगातार हो रहा है। इसके साथ ही कानपुर में चल रहे मेट्रो प्रोजेक्ट की बात करें तो इसके कार्य को लेकर भी यूपी सरकार तेजी से काम कर रही है।

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इसके अलावा कानपुर देश के प्रमुख रेल रूट का अहम हिस्सा है। दिल्ली से पूर्वी भारत को जाने वाली अधिकतर ट्रेनें कानपुर सेंट्रल से ही होकर गुजरती हैं। सड़क मार्ग में एनएच-2 कानपुर को दिल्ली, आगरा, प्रयागराज और कोलकाता से जोड़ता है। वहीं दूसरा प्रमुख हाईवे एनएच-25 है, जो लखनऊ से होते हुए झांसी और शिवपुरी तक जाता है। हालांकि आजादी के बाद भी कानपुर ने काफी उन्नति की। यहां आइआइटी, ग्रीनपार्क स्टेडियम और ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों को स्थापित किया गया।

कानपुर के सांप्रदायिक सौहार्द के बारे में भी जानें: जनवरी में मकर संक्रांति और लोहड़ी से लेकर दिसंबर के क्रिसमस तक शहर में गजब का सांप्रदायिक सद्भाव दिखता है। सभी धर्म के लोग एक दूसरे के साथ उनके त्योहारों में न केवल शरीक होते हैं बल्कि समान उत्साह और जुनून से लबरेज होकर त्योहारों की तैयारियां भी कराते हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण शहर के प्रसिद्ध होली के त्योहार में देखने को मिलता है। जब सभी धर्म के लोग कानपुर के साप्ताहिक होली कार्यक्रम में शरीक होते हैं। बता दें कि कानपुर एक मात्र ऐसा शहर है जहां एक हफ्ते तक यानि होलिका जलने के बाद से अनुराधा नक्षत्र वाले दिन तक होली खेली जाती है। जिसका सबसे अधिक प्रभाव शहर के हटिया, नयागंज, जनरलगंज, नौघड़ा, बिरहाना रोड और मेस्टन रोड क्षेत्र में देखने को मिलता है।

ये भी हुए बदलाव: ये तो सभी जानते हैं कि फूलबाग, मोतीझील, जेके मंदिर और जैसी दर्शनीय जगह हैं। लेकिन पिछले 20 वर्षों की बात करें तो कानपुर में रेव मोती, साउथ एक्स मॉल, जेड स्क्वॉयर मॉल, कारगिल पार्क, ब्लू वल्र्ड वाटर पार्क जैसी जगहाें को निर्माण हुआ। इनके अलावा अटल घाट को भी मनोरंजन और पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित किया गया है। सन् 1803 में कानपुर को जिला घोषित किया गया था। आज यानि 24 मार्च को कानपुर अपना 218वां जन्मदिवस मना रहा है। यह शहर अपने पौराणिक ऐतिहासिक और औद्योगिक महत्व के लिए जाना जाता है। कानपुर की धरती राजनेताओं से लेकरउद्याेगपतियों की पालनहार रही है।

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शहर से जुड़ी बड़ी हस्तियां: शहर की धरती देश के बड़े राजेनताओं से लेकर उद्योगपति और कलाकारों से लेकर क्रिकेटर्स तक की पालनहार रही है। शहर से जुड़ी बड़ी हस्तियों में राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द, दैनिक जागरण समूह के सीएमडी एवं संपादकीय निदेशक महेंद्र माेहन गुप्त, उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद के चेयरमैन राजू श्रीवास्तव, गायक अभिजीत भट्टाचार्य, क्रिकेटर कुलदीप यादव आदि शामिल हैं।

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Author: AMAN YATRA

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