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डेंगू लाया जीबी सिंड्रोम…तीन दिन में कर रहा अपंग, पढ़िए क्‍या है इसके लक्षण

डेंगू मरीजों में जीबी यानी गुनियन बैरे सिंड्रोम जैसी घातक बीमारी उभरने से अपंगता का खतरा है। झुनझुनी और सुन्न होने के बाद कई मरीजों के हाथ-पांव अचानक नाकाम हो गए। न्यूरो फिजिशियन डा. भूपेंद्र चौधरी ने बताया कि यह वायरस तंत्रिका तंत्र पर हमलावर है।

 मेरठ अमन यात्रा ।  डेंगू मरीजों में जीबी यानी गुनियन बैरे सिंड्रोम जैसी घातक बीमारी उभरने से अपंगता का खतरा है। झुनझुनी और सुन्न होने के बाद कई मरीजों के हाथ-पांव अचानक नाकाम हो गए। न्यूरो फिजिशियन डा. भूपेंद्र चौधरी ने बताया कि यह वायरस तंत्रिका तंत्र पर हमलावर है। डेंगू के मरीजों में यह लक्षण पहली बार देखा है। मेरठ में आसपास के जिलों से आए जीबी सिंड्रोम के दर्जनों मरीजों का इलाज चल रहा है। सप्ताहभर में तीन लाख रुपए से ज्यादा का इंजेक्शन लगाना पड़ता है।

एक माह नहीं, अब तीन दिन में लकवा

डा. भूपेंद्र चौधरी ने बताया कि जीबी सिंड्रोम पहले डेंगू के मरीजों में ज्यादा नहीं रहा, लेकिन अब यह बीमारी खतरनाक रूप से बढ़ रही है। संक्रमण के तीन दिन के अंदर ही कई डेंगू मरीज अपंगता का लक्षण लेकर ओपीडी में आए। ज्यादातर यह बीमारी एडीनो वायरस के संक्रमण से होती है, जिसमें चार सप्ताह बाद मरीज में लक्षण उभरता है। किंतु डेंगू में यह लक्षण तीन दिन में ही मिला।

ये हैं लक्षण

अचानक कमजोरी, हाथ पैर में चुभन, झनझनाहट और सुन्नपन उभरता है। गर्दन और चेहरे की मांसपेशियां कमजोर पडऩे से कई मरीज भोजन तक नहीं कर पाते हैं। सांस फूलने लगी तो उसके वेंटिलेटर पर भर्ती करने का खतरा बढ़ता है।

एनसीवी टेस्ट में फेल

नसों की जांच के लिए कई मरीजों का नैरो कंडक्शन वेलोसिटी टेस्ट किया गया, जिसमें पता किया गया कि तंत्रिका तंत्र के अंदर इलेक्ट्रिक इंपल्स कितना तेज चल रही है। पता चला कि वायरस ने नर्व की गति पर असर छोड़ा है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

पश्चिमी उप्र में जीबी सिंड्रोम के मरीज ज्यादा मिल रहे हैं, जिसमें ज्यादातर डेंगू रोगी हैं। अमूमन इस बीमारी के लक्षण एक माह में उभरते हैं, लेकिन डेंगू मरीजों में तीन दिन में अपंगता मिल रही है। करीब 70 किलो के मरीज को आइवीआइजी इंजेक्शन देने पर करीब साढ़े तीन लाख का खर्च आ रहा है। हाई प्रोटीन खानपान, वसारहित भोजन, साफ हवा और ज्यादा पानी पीने से बीमारी का प्रभाव कुछ हद तक कम हो सकता है।

– डा. भूपेंद्र चौधरी, न्यूरोफिजिशियन

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Author: pranjal sachan

कानपुर ब्यूरो चीफ अमन यात्रा


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