स्कूली छात्रों के कोर्स का पार्ट बनेगा कोडिंग-डिकोडिंग
परम्परागत पढ़ाई के साथ ही अब स्टूडेंट्स ऐप डिजाइन करने से लेकर आने वाले समय के हिसाब से कोडिंग डिकोडिंग व डाटा साइंस जैसे सब्जेक्ट में भी एक्सपर्ट होंगे।

- बच्चों को न्यू एजूकेशन पॉलिसी के अन्तर्गत इस सेशन में किया जाएगा तैयार
अमन यात्रा, कानपुर देहात। परम्परागत पढ़ाई के साथ ही अब स्टूडेंट्स ऐप डिजाइन करने से लेकर आने वाले समय के हिसाब से कोडिंग डिकोडिंग व डाटा साइंस जैसे सब्जेक्ट में भी एक्सपर्ट होंगे। परिषदीय स्कूलों के कक्षा 6 से 8 तक के बच्चे अब कोडिंग डिकोडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग सीखेंगे। इसके लिए प्रदेश के विभिन्न जनपदों के शिक्षक व विशेषज्ञ पाठ्यक्रम तैयार करने में जुट गए हैं। शिक्षक दिवस पर इसकी घोषणा कर दी जाएगी। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने शिव नादर फाउंडेशन की मदद से बच्चों को शुरुआत से कंप्यूटर शिक्षा देने की तैयारी कर ली है। कोर्स को इस तरह बनाया जा रहा है जिससे बच्चों में कंप्यूटर शिक्षा के प्रति रुझान बढ़े और वे इसमें रुचि ले सकें।
कोडिंग व एआई पर अधिक फोकस-
परिषदीय बच्चों के लिए जो सिलेबस तैयार किया जा रहा है उसमें कोडिंग व एआई पर अधिक फोकस किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त लॉजिकल थिंकिंग पर भी जोर है। माना जा रहा है कि बच्चों को यदि कक्षा 6 से कोडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजिटल लिटरेसी और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग पर फोकस किया जाए तो सॉफ्टवेयर आदि के क्षेत्र में इनका रुझान शुरू से होगा।
इसी साल से होगी शुरुआत-
शिव नादर फाउंडेशन को पूरे सिलेबस की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पांच सितंबर से पहले सिलेबस तैयार करने का टार्गेट है। इसके लिए हर माह दो बार वर्कशॉप रखी गई है। फाउंडेशन ने हरदोई में परिषदीय बच्चों के बीच कम्प्यूटर शिक्षा की प्रायोगिक तौर पर शुरुआत की है जिसके परिणाम अब तक सकारात्मक रहे हैं। माना जा रहा है कि पांच सितंबर को घोषणा के बाद प्रयोग के तौर पर मौजूदा सत्र से ही पढ़ाई शुरू हो जाएगी।
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