उत्तरप्रदेश

दो हजार करोड़ रुपये खर्च हो गए, फिर भी मैली रही आदि गंगा गोमती

शहर-ए-लखनऊ की जीवन रेखा कही जाने वाली आदि गंगा गोमती को सफाई अभियान पिछले दो दशक से चल रहा है। दो हजार करोड़ रुपये खर्च होने बावजूद जीवनदायिनी को गंदगी से निजा नहीं मिल सकी। गोघाट के बाद जब गोमती लखनऊ में प्रवेश करती है तो इसे सर्वाधिक प्रवाह प्राकृतिक कुकरैल नाले से प्राप्त होता है। जो मानसून के सीजन में नदी की मुख्य धारा को गति प्रदान करने में अग्रणीय है।  गोमती बैराज के समीप गोमती में मिलने वाला कुकरैल आज प्रदूषित होकर स्वयं में ही सिमट गया है। अब यह केवल असंशोधित सीवेज से गोमती को मैला कर रहा है। 

लखनऊ,  अमन यात्रा । शहर-ए-लखनऊ की जीवन रेखा कही जाने वाली आदि गंगा गोमती को सफाई अभियान पिछले दो दशक से चल रहा है। दो हजार करोड़ रुपये खर्च होने बावजूद जीवनदायिनी को गंदगी से निजा नहीं मिल सकी। गोघाट के बाद जब गोमती लखनऊ में प्रवेश करती है तो इसे सर्वाधिक प्रवाह प्राकृतिक कुकरैल नाले से प्राप्त होता है। जो मानसून के सीजन में नदी की मुख्य धारा को गति प्रदान करने में अग्रणीय है।  गोमती बैराज के समीप गोमती में मिलने वाला कुकरैल आज प्रदूषित होकर स्वयं में ही सिमट गया है। अब यह केवल असंशोधित सीवेज से गोमती को मैला कर रहा है।

यह हम नहीं बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रोफेसर वेंकटेश दत्ता द्वारा गोमती पर किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है। प्रो. दत्ता ने टीम के साथ मिलकर कुकरैल नाले को एक बार फिर से उसका प्राकृतिक स्वरुप लौटाने का ब्लू प्रिंट तैयार किया है और प्रशासन को इसका प्रस्ताव भी भेजा है। वह स्वयं पिछले डेढ़ दशक से अधिक समय से गोमती और उसके प्राकृतिक नदी तंत्र के संरक्षण के लिए कार्य कर रहे है।

960 किमी की यात्रा में किया अध्ययनः बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रोफेसर वेंकटेश दत्ता ने 2011 में,गोमती नदी के साथ-साथ पीलीभीत से वाराणसी तक 960 किमी की यात्रा की, और यूपी सरकार को एक विस्तृत पुनरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत की और अभी तक इसको लेकर कार्य नहीं किया गया। सिंचाई विभाग द्वारा हार्डिंग पुल से गोमती के किनारों के साथ दो बड़े ट्रंकों का निर्माण गोमती बैराज के डाउनस्ट्रीम तक किया गया था, जिससे कुकरैल नाले समेत शहर के लगभग 20 नालों का सीवेज बह सके। लामार्टीनियर कालेज के पास डाउनस्ट्रीम क्षेत्र में सीवेज का निर्वहन किया जा सके, ताकि आगे सीवेज भरवारा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की और बहे। लेकिन सरकारी दोषपूर्ण परियोजना के चलते निर्मित ट्रंक कुकरैल के समग्र बहिर्वाह को ले जाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, जिसका परिणाम यह हो रहा है कि कुकरैल का अतिरिक्त निर्वहन नालों में जाने के स्थान पर गोमती को प्रदूषित कर रहा है।

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने 20 सितंबर, 2018 को अपने आदेश में प्रदेश को गोमती नदी की गुणवत्ता को बहाल करने के लिए गोमती एक्शन प्लान तैयार करने का आदेश दिया। नदी को उद्योगों और सीतापुर, हरदोई, बाराबंकी, सुल्तानपुर, जौनपुर और केराकत (जौनपुर) के विभिन्न नगर पालिका क्षेत्र से हर दिन उद्योगों और सीवेज सिस्टम से काफी मात्रा में अपशिष्ट जल प्राप्त होता है। जिससे इसकी जल गुणवत्ता बिगड़ जाती है. गोमती नदी में 68 नालों के माध्यम से सीवेज और औद्योगिक अपशिष्ट के रूप में 865 एमएलडी के कुल निर्वहन का अनुमान है और नदी में 30 उद्योगों का प्रत्यक्ष निर्वहन है। लगभग 835 एमएलडी सीवेज और 30 एमएलडी औद्योगिक अपशिष्ट वर्तमान में विभिन्न नालियों और सरायन नदी के माध्यम से गोमती नदी में जा रहा है. प्रदूषित नदी के बहाव में 30 एमएलडी, 30 उद्योगों से आने वाले औद्योगिक अपशिष्ट गोमती नदी में बहाया जा रहा है। 835 एमएलडी के कुल अनुमानित सीवेज निर्वहन के रूप में केवल 443 एमएलडी सीवेज का उपचार किया जाता है।

लखनऊ में गोमती नदी में गिरते नाले में प्रतिदिन गंदगी की मात्रा

  • नगरिया नाला             14   एमएलडी
  • सरकटा                     32   एमएलडी
  • गोघाट नाला               पांच  एमएलडी
  • पाटा नाला                 14   एमएलडी
  • वजीरगंज नाला           35   एमएलडी
  • घसियारी मंडी नाला    18  एमएलडी
  • चायना बाज़ार नाला     तीन एमएलडी
  • लाप्लास नाला            छह  एमएलडी
  • महेश गंज नाला          13  एमएलडी
  • रूपपुर खदरा नाला     तीन  एमएलडी
  • मोहन मीकिन्स नाला    पांच एमएलडी
  • डालीगंज                   वन नाला
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Author: pranjal sachan

कानपुर ब्यूरो चीफ अमन यात्रा

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