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अभिभावकों के साथ ज्यादा समय बिताने वाले बच्चों का अधिक होता है कॉन्फिडेंस लेवल

हर माता-पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा पढ़ाई में अव्वल आए। बड़ा होकर एक कामयाब और अच्छा इंसान बनें लेकिन इन सब के लिए आपके नौनिहाल में आत्मविश्वास का होना बेहद जरूरी है। बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए माता-पिता और अध्यापक का काफी योगदान होता है।

Story Highlights
  • अभिभावकों संग स्कूल जाने वाले बच्चों में ज्यादा होता है आत्मविश्वास

लखनऊ / कानपुर देहात :  हर माता-पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा पढ़ाई में अव्वल आए। बड़ा होकर एक कामयाब और अच्छा इंसान बनें लेकिन इन सब के लिए आपके नौनिहाल में आत्मविश्वास का होना बेहद जरूरी है। बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए माता-पिता और अध्यापक का काफी योगदान होता है। बच्चे में आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए माता-पिता को उसके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहिए।एनसीईआरटी की ओर से नर्सरी से पांचवीं तक के बच्चों पर किए सर्वे में यह बात सामने आई है। अभिभावक के साथ स्कूल जाने वाले बच्चे ज्यादा खुश रहते हैं। उनके अंदर अन्य बच्चों की अपेक्षा आत्मविश्वास भी अधिक होता है।

सभी स्कूलों को भेजी जाएगी रिपोर्ट :

एनसीईआरटी ने प्रश्नावली के जरिए बच्चों के जवाब से यह अध्ययन किया है। सर्वे रिपोर्ट सभी स्कूलों को भेजी जाएगी। स्कूल इसकी जानकारी अभिभावकों से साझा करेंगे।


माता-पिता संग सुरक्षित महसूस करते हैं बच्चे


अभिभावक के साथ बच्चे खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। उनमें गर्व का अहसास होता है


माता-पिता के साथ आने वाले बच्चों में सकारात्मक सोच विकसित होती है। रास्ते में स्कूल की बातें साझा करते हैं।


छुट्टी के समय बच्चे खासकर पिता को देखकर ज्यादा खुश होते हैं।


वार्षिकोत्सव में माता-पिता के रहने पर अच्छा प्रदर्शन करते हैं


जिन बच्चों को स्कूल वैन से भेजा जाता है वो दुखी होते और कई बार रोते भी हैं।


सर्वे में शामिल बच्चों में 55 हजार बच्चे माता अथवा पिता के साथ स्कूल आते और जाते हैं। इनमें से 90 फीसदी बच्चों में सकारात्मक सोच दिखी। ये स्कूल में अन्य बच्चों से ज्यादा खुश रहते हैं। इनमें पढ़ाई का तनाव देखने को नहीं मिला। ये अपने सहपाठियों के बीच अभिभावकों की बातें करते हैं।

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कटियार मेडिकल स्टोर के संचालक राजेश बाबू कटियार का कहना है कि आत्मविश्वास बच्चे को सिखाया नहीं जा सकता। बच्चों के मन पर हर बात की छाप बहुत जल्दी लगती है और वे अपने आसपास की घटनाओं को देखकर बहुत कुछ सीखते हैं। छोटे बच्चे माता-पिता से ज्यादा जुड़े होते हैं। जब वे स्कूल जाना शुरू करते हैं तो अभिभावक स्कूल की गतिविधियों में उनका सपोर्ट करते हैं तो उनमें आत्मविश्वास बढ़ता है। बच्चे को अपनी रुचि और प्रतिभा के हिसाब से आगे बढ़ने दें और उसकी मेहनत की तारीफ करने या बधाई देने में कंजूसी न करें। मातापिता और शिक्षकों को बच्चों के लिए रोल मॉडल यानि आदर्श बनना चाहिए जिससे बच्चों का आत्मविश्वास हर समय ऊंचा रहे।

aman yatra
Author: aman yatra


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