सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावों में मतपत्र प्रणाली की मांग वाली याचिका खारिज की
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आज भारत में चुनावों में पारंपरिक मतपत्र प्रणाली की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया।

कानपुर देहात: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आज भारत में चुनावों में पारंपरिक मतपत्र प्रणाली की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया।
जस्टिस विक्रम नाथ और पीबी वराले की दो-न्यायाधीशों वाली पीठ ने प्रचारक केए पॉल द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी। पॉल ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के इस्तेमाल पर सवाल उठाते हुए पारंपरिक मतपत्रों की मांग की थी।
याचिकाकर्ता ने अपने तर्क का समर्थन करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्रियों चंद्रबाबू नायडू और वाईएस जगन मोहन रेड्डी के बयानों का हवाला दिया, जिन्होंने ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाया था।
हालांकि, पीठ ने जवाब देते हुए कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोप अक्सर चुनावी हार के मद्देनजर लगाए जाते हैं। उन्होंने कहा, “जब चंद्रबाबू नायडू या श्री रेड्डी हारते हैं तो वे कहते हैं कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई है, लेकिन जब वे जीतते हैं तो वे कुछ नहीं कहते। हम इसे कैसे देख सकते हैं?”
पीठ ने आगे कहा, “हम इसे खारिज कर रहे हैं क्योंकि यह वह मंच नहीं है जहाँ इस तरह की बहस होनी चाहिए।”
इस फैसले के आलोक में, भारत में निकट भविष्य में चुनावों में मतपत्र प्रणाली की वापसी की संभावना नहीं है। ईवीएम का इस्तेमाल चुनावों में मतदान प्रक्रिया को अधिक सुचारू और पारदर्शी बनाने के लिए किया जाता रहा है, और वर्तमान में उन्हें आधुनिक चुनाव प्रणाली का एक अभिन्न अंग माना जाता है।
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