सामने आए घोटाले से जुड़े नए राज, अब केस्को और ईपीएफओ कर्मचारी सवालों के घेरे में
पीएफ घोटाले से जुड़े कुछ नए राज सामने आए हैं, जिसमें एक सेवा प्रदाता कंपनी द्वारा धोखाधड़ी किए जाने की बात पता चली है। केस्को व ईपीएफओ के कुछ कर्मचारी भी पुलिस के निशाने पर हैं, क्योंकि माना जा रहा है कि इनकी मिलीभगत के बिना पीएफ निकाला जाना संभव नहीं था। भले ही अकाउंट नंबर बदल दिया गया हो, पर उस वक्त अन्य विवरण चेक नहीं किए गए। हालांकि ईपीएफओ का दावा है कि इस प्रकरण में सदस्यों की ही गलती से घोटालेबाजों को मौका मिला। इसमें विभाग स्तर से कोई गड़बड़ी नहीं हुई।
कानपुर, अमन यात्रा । पीएफ घोटाले से जुड़े कुछ नए राज सामने आए हैं, जिसमें एक सेवा प्रदाता कंपनी द्वारा धोखाधड़ी किए जाने की बात पता चली है। केस्को व ईपीएफओ के कुछ कर्मचारी भी पुलिस के निशाने पर हैं, क्योंकि माना जा रहा है कि इनकी मिलीभगत के बिना पीएफ निकाला जाना संभव नहीं था। भले ही अकाउंट नंबर बदल दिया गया हो, पर उस वक्त अन्य विवरण चेक नहीं किए गए। हालांकि ईपीएफओ का दावा है कि इस प्रकरण में सदस्यों की ही गलती से घोटालेबाजों को मौका मिला। इसमें विभाग स्तर से कोई गड़बड़ी नहीं हुई।
पीएफ घोटाले में सामने आया था कि कंपनी का कर्मचारी बनाकर दूसरों के नाम से बैंक खाते खोले गए और बाद में सभी पासबुक कंपनी के पते पर मंगा बैंकधारकों के नाम परिवर्तित कर दी गईं। इसके बाद पुलिस केस्को व ईपीएफओ से जुड़े कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत मानकर जांच आगे बढ़ा रही है। पुलिस का मानना है कि ठग मुकुल दुबे खुद को ईपीएफओ का संविदा कर्मचारी बता रहा है तो हो सकता है कि उसके संपर्क में वहां का कोई कर्मचारी हो, जो बदलाव के बाद अकाउंट वैरीफाई करता था।
सवाल है कि लेनदेन के वक्त ईपीएफओ में नाम, पता, मोबाइल नंबर, जन्मतिथि का मिलान होता है। बदले बैंक अकाउंट में जो पासबुक ईपीएफओ की वेबसाइट पर डाउनलोड की गई, उसमें सभी की जन्मतिथियां बदली हुई हैं। हालांकि कर्मचारी भविष्यनिधि संगठन के अपर केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त एसबी सिन्हा ऐसी किसी भी संभावना से इन्कार करते हैं। उनके मुताबिक इस प्रकरण में जो भी हुआ, उसमें गलती अंशधारक की है। अंशधारक की सहमति से बदलाव हुआ।
लखनऊ में भी सामने आई गड़बड़ी
कानपुर केस्को में कर्मचारियों का घोटाला सामने आने के बाद लखनऊ पालिटेक्निक में भी ऐसा ही मामला सामने आया था। कानपुर कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी शिकायत करने ईपीएफओ कार्यालय गए तो उन्हें कानपुर जैसे ही मामले की जानकारी हुई थी। कहा जा रहा है कि ऐसे और भी मामले सामने आ सकते हैं।