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शिक्षक स्वायत्तता खत्म, सरकार ने शिक्षकों के पढ़ाने की छीनी आजादी

शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति ही नहीं बल्कि सभी विभागीय कार्यों को सरकार ने ऑनलाइन करने के निर्देश जारी कर दिए हैं कुछ हद तक सरकार की यह एक अच्छी पहल है लेकिन बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकार ने अपने तौर तरीके भी निर्धारित कर दिए हैं जोकि ग्रामीण क्षेत्र के परिवेश में कदापि सटीक नहीं बैठते।

राजेश कटियार, कानपुर देहात। शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति ही नहीं बल्कि सभी विभागीय कार्यों को सरकार ने ऑनलाइन करने के निर्देश जारी कर दिए हैं कुछ हद तक सरकार की यह एक अच्छी पहल है लेकिन बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकार ने अपने तौर तरीके भी निर्धारित कर दिए हैं जोकि ग्रामीण क्षेत्र के परिवेश में कदापि सटीक नहीं बैठते। यह सच है कि शिक्षकों का जीवन जो एक बंधनमुक्त विचारों का दीपस्तंभ होना चाहिए आज वह कई बंधनों में जकड़ा हुआ है। सरकारी नियंत्रण, पाठ्यक्रम का दबाव और सामाजिक दबाव, शिक्षकों की स्वतंत्र सोच को कुचल रहा है। यह भी सच है कि शिक्षकों पर कई तरह के दबाव होते हैं।

पाठ्यक्रम को पूरा करने का दबाव, परीक्षाओं में अच्छे परिणाम लाने का दबाव और अभिभावकों की अपेक्षाओं को पूरा करने का दबाव। इन दबावों के कारण शिक्षक कई बार पाठ्यक्रम से बंधे रह जाते हैं और अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग नहीं कर पाते हैं लेकिन यह कहना गलत होगा कि शिक्षक केवल पाठ्यक्रम का रोबोट बनकर रह गए हैं। ऐसे कई शिक्षक हैं जो इन दबावों के बावजूद भी अपनी स्वतंत्र सोच का प्रयोग करते हैं और छात्रों को रटने के बजाय समझने पर ध्यान देते हैं।

यह भी सच है कि शिक्षकों के पास पहले की तुलना में कम स्वतंत्रता है। पहले शिक्षक अपनी रचनात्मकता और कल्पना का प्रयोग करके छात्रों को पढ़ाते थे लेकिन आजकल पाठ्यक्रम और परीक्षाओं पर बहुत अधिक ध्यान दिया जा रहा है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि शिक्षकों के पास कोई स्वतंत्र विचार नहीं हैं। शिक्षक अभी भी अपनी रचनात्मकता का प्रयोग करके छात्रों को पढ़ा सकते हैं। वे छात्रों को रटने के बजाय समझने पर ध्यान दे सकते हैं। यह शिक्षकों पर निर्भर करता है कि वे इन दबावों का सामना कैसे करते हैं। यदि वे इन दबावों के आगे झुक जाते हैं तो वे केवल पाठ्यक्रम का रोबोट बनकर रह जाएंगे लेकिन यदि वे इन दबावों का सामना करते हैं और अपनी स्वतंत्र सोच का प्रयोग करते हैं तो वे छात्रों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो शिक्षकों को अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग करने और छात्रों को रटने के बजाय समझने पर ध्यान देने में मदद कर सकते हैं-

पाठ्यक्रम से बाहर भी सोचें-

  • शिक्षकों को केवल पाठ्यक्रम तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। उन्हें अपने विषय से संबंधित अन्य जानकारी भी छात्रों को बतानी चाहिए।
  • छात्रों को प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करें-
  • शिक्षकों को छात्रों को प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे छात्रों की सोचने की क्षमता विकसित होगी।

रचनात्मक शिक्षण विधियों का प्रयोग करें-

  • शिक्षकों को रचनात्मक शिक्षण विधियों का प्रयोग करना चाहिए। इससे छात्रों की रुचि बढ़ेगी और वे बेहतर तरीके से समझ पाएंगे।
  • अन्य शिक्षकों के साथ सहयोग करें- शिक्षकों को अन्य शिक्षकों के साथ सहयोग करना चाहिए। इससे वे एक दूसरे से सीख सकते हैं और अपने शिक्षण को बेहतर बना सकते हैं।
  • वर्तमान समय शिक्षकों के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय है लेकिन यदि वे इन चुनौतियों का सामना करते हैं और अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग करते हैं तो वे छात्रों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं और उन्हें बेहतर इंसान बनाने में मदद कर सकते हैं।
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AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

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