गजल
काली जुल्फें घटा सी छाई हैं।कोई खुशबू सलाम लाई है।।

काली जुल्फें घटा सी छाई हैं।
कोई खुषबू सलाम लाई है।।
तुमने पलकों को जब भी बन्द किया,
सारी दुनिया हुई पराई है। 1 ।
फूल बालों में जब से बांधा है तुमने,
चॉदनी घर में उतर आई है। 2।
कितनी मासूमियत है चेहरे पर तुम्हारे,
इसमें ही तो छिपी खुदाई है। 3 ।
जब से फूलों को चुनते देखा है तुम्हें,
मेरे घर में बहार आई है। 4 ।
थामकर हाथ मेरा मत जाना दिलवर,
तुमने दुनिया मेरी सजाई है। 5 ।
राम सेवक वर्मा
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