कानपुर

मॉडल निकाहनामा के प्रविधान मजबूत करेंगे शौहर-बीवी के रिश्ते की डोर, जानिए – कैसा होगा इसका प्रारूप

 मॉडल निकाहनामे पर काजी के दस्तखत और मुहर से इसे सामाजिक और कानूनी तौर पर मान्यता भी मिलेगी। मुस्लिम समाज में तीन तलाक और दहेज की कुरीति को खत्म करने के लिए प्री व पोस्ट मैरिज काउंसिलिंग से लेकर मॉडल निकाहनामा लागू करने की कवायद तेज हुई है।

कानपुर, अमन यात्रा l मॉडल निकाहनामा आधुनिकता के दौर में बदलते समय के साथ हर कोई कदमताल करने की कोशिश में है। कोई किसी कीमत पर पिछड़ना नहीं चाहता है। कुछ ऐसा ही कदम अब ऑल इंडिया मुस्लिम महिला बोर्ड बढ़ाने जा रहा है। बोर्ड ने ऑल इंडिया सुन्नी उलमा काउंसिल की ओर से तैयार किए जा रहे मॉडल निकाहनामा पर मई में ईद के बाद से अमल कराने की तैयारी कर ली है। इससे तत्काल तीन तलाक नहीं दिया जा सकेगा और शौहर-बीवी के बीच रिश्तों की डोर भी मजबूत होगी।

मॉडल निकाहनामे पर काजी के दस्तखत और मुहर से इसे सामाजिक और कानूनी तौर पर मान्यता भी मिलेगी। मुस्लिम समाज में तीन तलाक और दहेज की कुरीति को खत्म करने के लिए प्री व पोस्ट मैरिज काउंसिलिंग से लेकर मॉडल निकाहनामा लागू करने की कवायद तेज हुई है। इसका प्रारूप तैयार है। इसे शरई निकाहनामा कहा जाएगा। मॉडल निकाहनामा पर ऑल इंडिया मुस्लिम महिला बोर्ड ने भी सहमति जता दी है।

मॉडल निकाहनामा का प्रारूप 

  • मॉडल निकाहनामा उर्दू के साथ हिंदी में भी होगा।
  • दर्ज होगा आधार नंबर, इससे आसान होगी पहचान।
  • वकील व दो गवाहों के नाम-पते दर्ज होंगे।
  • काजी का नाम और पता लिखा जाएगा।
  • मिलेगी कानूनी और सामाजिक मान्यता।
  • तलाक कुरान में दिए गए तरीके से ही होगा।

मॉडल निकाहनामे से क्या होगा

  • महिलाओं को भी तलाक देने का अधिकार मिलेगा।
  • पुरुष एक झटके में तीन तलाक (तत्काल) नहीं दे सकेंगे।
  • बिना किसी बड़ी वजह के तलाक देने के मामलों में कमी आएगी।
  • जरूरत पड़ने पर गवाह, वकील और काजी अदालत में गवाही देंगे।

पहले निकाहनामा उर्दू में ही था, शर्तें भी नहीं थीं

ऑल इंडिया सुन्नी उलमा काउंसिल के महासचिव हाजी मोहम्मद सलीस बताते हैं कि पहले के निकाह में तलाक देने को लेकर कोई शर्त नहीं होती थी। इसीलिए किसी भी समय तीन तलाक दे दिया जाता था। आधार कार्ड नंबर समेत मॉडल निकाहनामा में निर्धारित शर्तें भी नहीं थीं। पुराना निकाहनामा सिर्फ उर्दू में ही होता था। इसमें मेहर का प्रविधान था, जो मॉडल निकाहनामा में भी है।

उलमा के साथ बैठक में विचार-विमर्श के बाद सुन्नी उलमा काउंसिल मॉडल निकाहनामा को अंतिम रूप देकर निकाह पढ़ने के लिए काजियों को देगी। मुस्लिम महिला बोर्ड निकाहनामा पर अमल कराने के साथ शौहर व बीवी की काउंसिलिंग भी करेगी। शौहर व बीबी के हकूक (अधिकार) की जानकारी देने को किताबें भी दी जाएंगी।

इनकी भी सुनिए 

1- तीन तलाक रोकने के लिए मॉडल निकाहनामा कारगार होगा। इसमें दी गई शर्तों को मानने से तलाक के मामले कम होंगे। – सय्यदा तबस्सुम, अध्यक्ष, आल इंडिया मुस्लिम महिला बोर्ड

2- मॉडल निकाहनामा का प्रारूप तैयार हो चुका है। महिला बोर्ड महिलाओं को मॉडल निकाहनामा की अहमियत बताएगा।  -हाजी मोहम्मद सलीस, महासचिव, ऑल इंडिया सुन्नी उलमा काउंसिल

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AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

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