इस एक स्थान पर होती है तीन धर्मों की यात्रा
संसार भर में भारत ही ऐसा देश है जहां विभिन्न धर्मों से जुड़े लोग एकजुट होकर रहते हैं। बहुत से ऐसे स्थान हैं जहां विभिन्न धर्मों के पवित्र स्थल एक ही स्थान पर स्थापित हैं। उन्हीं में से एक तीर्थ है राजगृह। राजगृह हिन्दू, बौद्ध और जैन तीनों धर्मों के अनुयायीयों का तीर्थ है।

संसार भर में भारत ही ऐसा देश है जहां विभिन्न धर्मों से जुड़े लोग एकजुट होकर रहते हैं। बहुत से ऐसे स्थान हैं जहां विभिन्न धर्मों के पवित्र स्थल एक ही स्थान पर स्थापित हैं। उन्हीं में से एक तीर्थ है राजगृह। राजगृह हिन्दू, बौद्ध और जैन तीनों धर्मों के अनुयायीयों का तीर्थ है। पुरातन काल में राजगृह मगध की राजधानी हुआ करती थी तत्पश्चात मौर्य साम्राज्य आया। महाभारत में राजगृह को तीर्थ माना गया है। राजगृह के समीप अरण्य में जरासंध की बैठक नाम की एक बारादरी अवस्थित है।
हिन्दू तीर्थ:- यहां प्रवाहित होने वाली सरस्वती नदी को स्थानीय लोग प्राची सरस्वती कहते हैं। सरस्वतीकुण्ड से आधा मील की दूरी पर सरस्वती को वैतरणी कहा जाता है। इस नदी के तट पर पिण्डदान और गोदान का बहुत महत्व है इसलिए यहां प्रत्येक धर्म-समुदाय के लोग पिण्डदान करते हैं। यहां मार्कण्डेयकुण्ड, व्यासकुण्ड, गंगा-यमुनाकुण्ड, अनन्तकुण्ड, सप्तर्षिधारा और काशीधारा हैं। जिनके समीप बहुत से देवी-देवताओं के मंदिर अवस्थित हैं।
बौद्ध तीर्थ:- पुरातन काल में इस स्थान पर बौद्धों के 18 विहार हुआ करते थे। राजगृह मुख्य बौद्ध तीर्थ है क्योंकि महात्मा बुद्ध ने अपने जीवन काल का बहुत बड़ा हिस्सा यहां व्यतित किया था। वर्षा के चार महीने यहीं व्यतीत किया करते थे।
जैन तीर्थ:- जैन तीर्थ पंच पहाड़ों पर स्थित है। इक्कीसवें तीर्थंकर मुनि सुव्रतनाथ का जन्म इसी पहाड़ी पर हुआ था। यही उनकी तपो भूमी थी। मुनिराज धनदत्त और महावीर के बहुत सारे गणधर इसी स्थान से मोक्ष को प्राप्त हुए थे। जैनयात्री यहां विशेष रूप से दर्शनों के लिए आते हैं।
Discover more from अमन यात्रा
Subscribe to get the latest posts sent to your email.