पुरानी पेंशन बहाली को लेकर “अटेवियन” ने भरी हुंकार, सरकार सुनने को नहीं तैयार
देश के कई राज्यों में पुरानी पेंशन योजना लागू होने के बाद अन्य राज्यों में भी इसे लागू करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। अटेवा पेंशन बचाओ मंच के अलावा अन्य कई संगठन यूपी में भी पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग जोर शोर से कर रहे हैं।

अटेवा पेंशन बचाओ मंच कानपुर देहात के जिला संयोजक प्रदीप यादव का कहना है कि 2004 के बाद नियुक्त सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना के स्थान पर नई पेंशन योजना लागू की गई है जोकि सही मायने में देखा जाए तो पेंशन योजना है ही नहीं। यह एक बाजारवाद पर आधारित प्रणाली है जिसमें किसी भी प्रकार की न्यूनतम गारंटी नहीं है। पुरानी पेंशन योजना सरकारी कर्मचारी के बुढ़ापे की लाठी है तो दूसरी ओर नई पेंशन योजना उसके साथ बहुत बड़ा छलावा है। इस योजना में शामिल कर्मचारी को 62 वर्ष की उम्र के पश्चात मामूली मासिक पेंशन मिलती है जबकि पुरानी पेंशन योजना में इतनी ही सेवा के बदले अच्छी मासिक पेंशन मिलती हैं। नई पेंशन योजना फायदेमंद नहीं है। इसमें कार्मिकों का पेंशन के नाम पर जमा पैसा यूटीआई, एसबीआई तथा एलआईसी के पास जाता है जो इसको शेयर मार्केट में लगाते हैं। सेवानिवृत्ति के समय जो बाजार भाव रहेगा, उसके अनुसार कार्मिक को पैसा मिलेगा हो सकता है उसका मूलधन भी उसे न मिले। अत: यह नितान्त आवश्यक है कि सरकारी कर्मचारियों के हित में सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने वाली पुरानी पेंशन व्यवस्था को तुरंत बहाल किया जाए ताकि सेवानिवृत्ति के बाद व्यक्ति स्वाभिमान के साथ जीवन जी सके।
अटेवा पेंशन बचाओ मंच के जिला महामंत्री प्रताप भानू सिंह का कहना है कि एक दिन सांसद, विधायक रहने पर भी उनको पेंशन मिलती है तो कर्मचारियों को पेंशन देने में हिचक क्यों ? सरकारी कर्मचारियों को भी पुरानी योजना के तहत पेंशन मिलनी चाहिए क्योंकि उनका भी परिवार है। 30-35 साल तक की सेवा देने के बाद उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने के लिए पूरानी पेंशन राशि हर हालत में मिलनी चाहिए। अगर कर्मचारियों को पेंशन नहीं दे सकते हैं तो राष्ट्रपति, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, सांसदों और विधायकों की भी पेंशन बंद की जानी चाहिए।
अटेवा पेंशन बचाओ मंच की जिला संयोजिका अनुपम प्रजापति का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल करना जरूरी है। इससे कर्मचारी, राज्य और अर्थव्यवस्था तीनों को लाभ है। वर्तमान एनपीएस प्रक्रिया में कर्मचारी भय के कारण धन संग्रह करते हैं जिससे अर्थव्यवस्था में मांग घटती है। अगर पुरानी पेंशन बहाल होती है तो इससे लाभ ही होगा।
अटेवा पेंशन बचाओ मंच के आईटी सेल प्रभारी देवेंद्र सिंह का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना को बंद करना सरकार का एक गलत कदम था जो अटल सरकार के समय उठाया गया था। कोई भी व्यक्ति एक बार या एक दिन भी विधायक बन जाए तो आजीवन उसे पेंशन का लाभ मिलता है। सांसदों और विधायकों के वेतन-भत्ते जब चाहे बढ़ा दिए जाते हैं। दूसरी तरफ सरकारी विभाग में पूरा जीवन खपा देने वाले व्यक्ति को सम्मानजनक पेंशन तक नहीं मिल रही है। सरकारी कर्मचारी अधिकतम वर्षों तक सेवाएं देता है लेकिन उसे सम्मानजनक पेंशन नहीं मिलती। दूसरी तरफ एक बार सांसद या विधायक बनने पर ही पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है। सरकार का यह दोहरा रवैया निंदनीय है। सभी सरकारी कर्मचारियों को पूर्वानुसार पुरानी पेंशन मिलनी चाहिए।
अटेवा पेंशन बचाओ मंच के सोशल मीडिया प्रभारी कुलदीप सैनी का कहना है कि सरकारी कर्मचारी अपना पूरा जीवन मानव सेवा में गुजार देता है। इसलिए सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्त पश्चात न्यूनतम पेंशन की गारंटी सरकार द्वारा मिलनी ही चाहिए, जिससे वह अपने बचे जीवन को बिना किसी परेशानी व्यतीत कर सके। नई पेंशन योजना में इस तरह की गारंटी नहीं है। इससे कर्मचारी को गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है।
अटेवा पेंशन बचाओ मंच के मंडल अध्यक्ष पंकज संखवार का कहना है कि सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाना चाहिए क्योंकि एक कर्मचारी अपनी युवावस्था से 60-65 वर्ष तक सेवा करके केवल वेतन पाता है। सेवानिवृत्ति के बाद जब शरीर साथ छोडने लगता है तब परिजन भी उसको बोझ समझ लेते हैं। पेंशन कर्मचारी का हक होता है। सरकार को चाहिए कि वह अपने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन दे।
अटेवा पेंशन बचाओ मंच के जिला सह संयोजक बिहारी लाल का कहना है कि वर्ष 2004 के बाद नियुक्त सरकारी कर्मचारियों को नवीन पेंशन योजना में शामिल किया गया है। नई पेंशन योजना सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक संकट का कारण बनेगी। एक बार विधायक या सांसद बनने पर व्यक्ति को जीवन भर पेंशन मिलती है। अपने जीवन के 25 से 30 साल बिना सरकारी सेवा में बिताने के बाद भी सरकारी कर्मचारी को पुरानी पेंशन योजना के तहत पेंशन नहीं मिलती। चाहे सेवानिवृत्ति की आयु 62 से 58 वर्ष कर दी जाए लेकिन पुरानी पेंशन योजना ही लागू होनी ही चाहिए ।
अटेवा पेंशन बचाओ मंच के प्रदेश सह प्रभारी राजेश सिंह का कहना है कि पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने से काफी नए कर्मचारियों के चेहरे प्रफुल्लित हो उठेंगे। पुरानी पेंशन स्कीम लागू होने से सेवानिवृत्त कर्मचारियों का बुढ़ापा आराम से कटेगा। बुढ़ापे में किसी सहारे का मोहताज नहीं होना पड़ेगा। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार को पुरानी पेंशन योजना तत्काल प्रभाव से लागू करनी चाहिए।
ताकि बचा रहे सम्मान-रामेंद्र सिंह
अटेवा पेंशन बचाओ मंच के सरवनखेड़ा ब्लॉक अध्यक्ष रामेंद्र सिंह का कहना है कि सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी वृद्धावस्था में सम्मानजनक तरीके से रह सकें इसके लिए सरकार को पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना चाहिए। जब राजनीति में अच्छा वेतन ले रहे लोगों के लिए पेंशन का प्रावधान है तो फिर कर्मचारियों पर नई पेंशन योजना थोपना उचित नहीं है। आजकल एनपीएस के तहत रिटायर हो रहे अधिकांश सरकारी कर्मचारियों को मिल रही पेंशन से उनका सामाजिक जीवन और प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। वृद्धावस्था में वे छोटे-मोटे कार्य करके गुजर-बसर करने के लिए मजबूर हैं। अत: सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा, सम्मान व स्वाभिमान को बचाए रखने के लिए पुरानी पेंशन योजना को लागू किया जाना चाहिए।
अटेवा पेंशन बचाओ मंच के सरवनखेड़ा विकासखंड के महामंत्री आलोक दीक्षित का कहना है कि एक सरकारी कर्मचारी 60 या 62 साल में सेवानिवृत्त होता है। वह अपने जीवन के सम्पूर्ण सुनहरे पल सरकारी विभाग के लक्ष्य को प्राप्त करने में लगा देता है। सेवानिवृत्ति के बाद वह शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता है। बेटे, बहू, नाती ,पोते उसके साथ जुड़ जाते हैं। इस तरह उसकी जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के बाद पुरानी पेंशन योजना के अनुसार पेंशन के रूप में अच्छी राशि मिलती थी। इससे उनके परिवार का भरण-पोषण आसानी से चलता रहता था। 2004 के पहले नियुक्ति पाने वाले कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद वृद्धावस्था में सम्मानजनक तरीके से जीवन यापन करता रहे हैं। अत: पुरानी पेंशन योजना बहाल होनी चाहिए।
2004 में लागू नई पेंशन स्कीम न केवल अन्यायपूर्ण है अपितु कर्मचारियों को वृद्धावस्था के दौरान सामाजिक सुरक्षा के कानूनी अधिकार से भी वंचित करती है। इससे एकमात्र फायदा बीमा और शेयर बाजार को हुआ है। कर्मचारियों की कमाई मार्केट रिस्क के अधीन हो जाती है। नई पेंशन में सरकारों को भी आर्थिक नुकसान हुआ है क्योंकि सारी राशि शेयर मार्केट में लगी रहती है, जो कर्मचारी असमय मौत के मुंह में समा गए, उनके परिवार नई पेंशन योजना के कारण कठोर आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। यदि सरकारों को लोक कल्याणकारी नीति का अनुसरण करना है तो तत्काल पुरानी पेंशन योजना लागू करनी चाहिए।
अटेवा पेंशन बचाओ मंच सरवनखेड़ा विकासखंड की महिला प्रकोष्ठ ब्लॉक अध्यक्ष सुनीता सिंह का कहना है कि सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलना चाहिए। यह उनका वाजिब हक है। यदि केंद्र सरकार कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं करती है तो यह 2024 में मुख्य चुनावी मुद्दा बनेगा। इसके दुष्परिणाम वर्तमान सरकार को भुगतने पड़ेंगे क्योंकि यह मुद्दा कर्मचारियों के भविष्य से जुड़ा हुआ है।
प्राथमिक विद्यालय निनायां प्रथम सरवनखेड़ा विकासखंड में कार्यरत सहायक अध्यापिका दीप्ती कटियार का कहना है कि नई पेंशन योजना लागू होने से लाखों कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान हुआ है। कर्मचारी अपने भविष्य के लिए चिंतित हैं क्योंकि पुरानी पेंशन योजना बंद हो गई है। बुढ़ापे में उनका कौन सहारा बनेगा ? सभी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन व्यवस्था का हिस्सा बनाया जाए।
प्राथमिक विद्यालय भागीरथपुर सरवनखेड़ा कानपुर देहात में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत गोरेंद्र कुमार सचान का कहना है कि सरकार ने 2004 के बाद नियुक्त सरकारी कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना (एनपीएस) लागू की है परंतु सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को ही अच्छा मानते हैं क्योंकि एनपीएस जुआ की तरह है, कब क्या हो जाए कुछ पता नहीं। केंद्र ने नई पेंशन स्कीम के फंड के लिए अलग से खाते भी खुलवाए हैं। पेंशन फंड का शेयर बाजार एवं बांड में निवेश का प्रावधान भी रखा है। इसमें जोखिम है। निवेश का रिटर्न अच्छा रहा तो कर्मचारियों को लाभ होगा, वरना जोखिम भी उठाना पड़ सकता है। इसके कारण सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार को चाहिए कि जिस तरीके से अन्य राज्यों में पुरानी पेंशन योजना बहाल की गई है उसी तरह उत्तर प्रदेश में भी पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए।
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