हिंदी भाषा में कई नए शब्दों के अन्वेषक -लेखक तत्सम्यक् मनु रचित दूसरे उपन्यास ‘the नियोजित शिक्षक’ पढ़कर मन ‘गार्डन-गार्डन’ हो गया। उनके लेखन में यह विशेषता जरूर है कि यह अंत तक पाठकों के मनोभाव को बांधने में कामयाब हो जाते हैं।
उपन्यास ‘the नियोजित शिक्षक’ पढ़ने के दौरान जहाँ मुझे दिलश:, बापोटिज्म आदि नए शब्दों ने आकर्षित किया, वहीं यह भी जानने को मिला कि होटलों में क्या-क्या होते हैं ?
यह उपन्यास बचपना, खेलकूद, प्यार-व्यार, अल्हड़ गाथा से शुरू होते हुए ऐतिहासिक जानकारी देते-देते भारत के शिक्षकों की असली दास्ताँ व्यक्त कर देती हैं। औपन्यासिक यात्रा के दौरान कई पात्रों ने मुझे आकर्षित किया, तो महिला पात्रों से हमदर्दी बढ़ती गयी और वहीं पुरुष पात्रों की गंभीरता ने सोचने पर मजबूर कर दिया कि “सच में शिक्षकों की ज़िन्दगी में भी ‘निजता’ आवश्यक है।”
इस उपन्यास पर अगर समीक्षा लिखने बैठूं, तो एक किताब लिख सकता हूँ, पर मैं उपन्यासकार को साधुवाद देना चाहूँगा कि उन्होंने एक ‘गंभीर’ मुद्दे पर शानदार तरीके से लिखा।
डॉ. राजू यादव, इंदौर.