UGC का ऐतिहासिक कदम: अब एक साथ प्राप्त की गई दो डिग्रियां होंगी पूरी तरह मान्य!
देश में उच्च शिक्षा को अधिक लचीला और छात्र-केंद्रित बनाने की दिशा में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है।

- लाखों छात्रों को मिली बड़ी राहत, 2022 से पहले की डिग्रियों को भी मिली वैधता; उच्च शिक्षा में नए रास्ते खुले
राजेश कटियार ,कानपुर देहात: देश में उच्च शिक्षा को अधिक लचीला और छात्र-केंद्रित बनाने की दिशा में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब एक ही समय में दो डिग्रियां हासिल करने की पुरानी बाध्यता को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। इसका मतलब है कि एक ही शैक्षणिक सत्र में प्राप्त की गई दो डिग्रियां अब पूरी तरह से मान्य होंगी, चाहे वे रेगुलर, प्राइवेट या डिस्टेंस मोड में ली गई हों।
इस फैसले का सबसे बड़ा प्रभाव उन लाखों छात्रों पर पड़ेगा, जिन्होंने अप्रैल 2022 से पहले एक साथ दो डिग्रियां प्राप्त की थीं और उनकी वैधता को लेकर असमंजस की स्थिति थी। यूजीसी ने अपनी वेबसाइट पर 5 जून को जारी संशोधित निर्देशों में स्पष्ट कर दिया है कि 2022 से पहले एक साथ हासिल की गई ऐसी सभी डिग्रियां अब वैध मानी जाएंगी। पहले के नियमों में एक प्रावधान था जो 13 अप्रैल 2022 से पहले के छात्रों को इस लाभ से वंचित करता था, जिसे अब हटा दिया गया है।
क्या है नया नियम? यूजीसी ने 13 अप्रैल 2022 को दो शैक्षिक प्रोग्राम एक साथ करने के लिए गाइडलाइन जारी की थी। इसके तहत:
- कोई भी छात्र फिजिकल मोड में एक साथ दो पूर्णकालिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकता है, बशर्ते उनकी कक्षाओं का समय न टकराए।
- छात्र एक प्रोग्राम फिजिकल मोड में और दूसरा ओडीएल (ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग) या ऑनलाइन मोड में कर सकता है, या दोनों प्रोग्राम ओडीएल/ऑनलाइन मोड में भी कर सकता है।
इसी वर्ष 3 अप्रैल को हुई बैठक में यूजीसी ने इस नियम में संशोधन किया, जिसे 5 जून को सार्वजनिक किया गया। अब, पुराने प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। इसका मतलब है कि गाइडलाइन जारी होने से पहले भी अगर छात्रों ने निर्धारित मानदंडों का पालन करते हुए एक साथ दो शैक्षणिक कार्यक्रम पूरे किए हैं, तो वे वैध माने जाएंगे। बस शर्त यह है कि वे डिग्रियां यूजीसी के नियमों, संबंधित विश्वविद्यालय के कानूनों और वैधानिक व्यावसायिक परिषदों या दूरस्थ शिक्षा निकायों से अनुमोदित हों।
यूजीसी का यह फैसला भारतीय उच्च शिक्षा के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। यह छात्रों को अपनी पढ़ाई और करियर के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अधिक स्वतंत्रता और लचीलापन देगा। यह न केवल छात्रों को बहुआयामी कौशल विकसित करने का अवसर प्रदान करेगा, बल्कि उन्हें आधुनिक जॉब मार्केट की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने में भी मदद करेगा। यह कदम निश्चित रूप से छात्रों के भविष्य के लिए नए दरवाजे खोलेगा।
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