कानपुर,अमन यात्रा। आठ मार्च को शक्ति और समर्पण का दिन है। बीते एक साल में शहर में भी नारी शक्ति ने खुद को साबित किया है। हर मुश्किल को हराते हुए महामारी का डटकर मुकाबला किया है। ऐसे में आपके सामने महिला उद्यमी सुचेता की कहानी पेश कर रहे हैं, जिन्होंने कोरोना काल में मुफ्त मास्क बांटे और महिलाओं को भी जोडा़। एक विचार आपके लिए संतोष ला सकता है तो दूसरों को रोजगार दिला सकता है। कोरोना काल में ऐसी पहल और अहम साबित हो जाती है और कई लोगों की जीवनचर्या के सामने मुश्किल खड़ी हो जाती है। कानपुर में सुचेता के ऐसे ही विचार ने न सिर्फ लोगों की सुरक्षा की बल्कि रोजगार देकर लोगों की मदद भी की।

सेफ्टी सूज बनाने वाली किदवईनगर निवासी उद्यमी सुचेता वाही ने कोरोना काल में कई महिलाओं को मास्क बनाने के लिए सिलाई के काम से जोड़ा और बनाए गए मास्क का निश्शुल्क वितरण भी किया। उन्होंने मार्च से लेकर जून के बीच करीब 20 हजार मास्क बनवाए। इसमें घर पर ही 20 महिलाओं को रोजगार मुहैया कराया। मास्क बनने बंद हो गए, लेकिन कई महिलाएं अब भी सेफ्टी शूज के उद्योग में काम कर रहीं हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि वह पहले कपड़े की कटाई व सिलाई करके मास्क बनाती थीं, अब मशीनों से सेफ्टी शूज की सिलाई कर रही हैं। कोरोना काल से पहले उन्हें कभी-कभी काम मिलता था। कोरोना में वह भी छिन गया, लेकिन सेफ्टी शूज उद्योग में काम मिलने के बाद जिंदगी बदल गई है और परिवार भी आíथक रूप से समृद्ध हो गया।

शिद्दत को दिया मेहनताना

सुचेता बताती हैं कि कोरोना से बचाव के लिए मार्च में लॉकडाउन के दौरान कई जरूरतमंद महिलाएं आईं। बोलीं कि उनके पास कोई काम नहीं है इसलिए घर की छत पर मास्क बनवाने का काम शुरू किया। इससे उन्हें मेहताना मिला। अब अनलॉक होने पर दादानगर स्थित औद्योगिक इकाई में दोबारा सेफ्टी शूज के उद्योग की शुरुआत हुई तो मास्क बनाने का काम करने वाली ममता, संतोष, पिंकी, रूपा, रविता व अलका समेत अन्य उनसे जुड़कर रोजगार पा रही हैं।