आर-पार के लिए तैयार बेसिक शिक्षक, डिजिटल हाजरी का पूर्ण बहिष्कार
उत्तर प्रदेश में एकबार फिर से बेसिक शिक्षा परिषद के लाखों अध्यापक विभाग के मुखिया के तुगलकी फरमान के खिलाफ एकजुट होकर ताल ठोक रहे हैं वही महानिदेशक ने अपने तुगलकी फरमान की तारीख 15 से घटाकर 8 जुलाई कर दी है। शिक्षक संगठनों ने साफ तौर पर एलान कर दिया है कि डिजिटल हाजरी का पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा।

- आजा आजा नेटवर्क अब तो आजा देख तो कैसी हालत हुई है आज कुछ ऐसा ही गीत गाते नजर आएंगे परिषदीय स्कूलों के शिक्षक
राजेश कटियार, कानपुर देहात। उत्तर प्रदेश में एकबार फिर से बेसिक शिक्षा परिषद के लाखों अध्यापक विभाग के मुखिया के तुगलकी फरमान के खिलाफ एकजुट होकर ताल ठोक रहे हैं वही महानिदेशक ने अपने तुगलकी फरमान की तारीख 15 से घटाकर 8 जुलाई कर दी है। शिक्षक संगठनों ने साफ तौर पर एलान कर दिया है कि डिजिटल हाजरी का पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा।
काली पट्टी बांधकर विरोध होगा, मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया जाएगा तथा इसी माह के अंत में महानिदेशक के कार्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया जाएगा। महानिदेशक कंचन वर्मा ने जो डिजिटल हाजरी रूपी मौत का वारंट जारी किया है उसे हम लोग कदापि स्वीकार नहीं करेंगे। बेसिक शिक्षा विभाग में भौगोलिक एवं भौतिक स्थिति का आकलन किए बगैर तुगलकी फरमान जारी किए जाते हैं प्रत्येक जिले में ऐसे सैकड़ो विद्यालय हैं जहां मोटरसाइकिल से तो छोड़िए पैदल जाने तक के लिए सही रास्ता नहीं है।
ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश स्कूलों में किसी भी कंपनी के सिम कार्ड में नेटवर्क भी नहीं आते हैं। वहां शिक्षक ऑनलाइन अटेंडेंस कैसे लगायेंगे। वे बेचारे आजा आजा नेटवर्क अब तो आजा देख तो कैसी हालत हुई है कुछ ऐसा ही गीत गाते नजर आएंगे। मेरे तो समझ में यह नहीं आता है कि बेसिक शिक्षा विभाग में ऐसे अधिकारी कहां-कहां से ढूंढ कर लाए जाते हैं जिन्हें कि बेसिक शिक्षा विभाग की 10 पर्सेंट भी जानकारी नहीं है। जो मन आता है जब मन आता है बस एसी कमरों में बैठकर तुगलकी फरमान जारी कर देते हैं, मुझे तो इनकी पढ़ाई पर ही शंका होने लगी है क्योंकि एक वेल क्वालफाइड पर्सन ऐसा आदेश जारी कर ही नहीं सकता।
फिलहाल इसके विरोध में सभी शिक्षक संगठन एकजुट हो गए हैं। इससे पहले ही शिक्षकों ने विरोध दर्ज कराना शुरू कर दिया है। शिक्षकों ने एक्स पर बायकॉट ऑनलाइन उपस्थिति ट्रेंड करा दिया है। एक्स पर बायकॉट ऑनलाइन पहले नंबर पर चल रहा है। अब तक 5 लाख से ज्यादा ट्वीट हो चुके हैं। शिक्षकों का कहना है कि गांव के कई स्कूलों में जाने के लिए सुगम रास्ते तक नहीं है।
इसके साथ ही कई स्कूलों तक जाने के लिए साधन तक नहीं है। शिक्षक वैसे तो टाईम पर स्कूल पहुंच जाते हैं लेकिन कभी क्रॉसिंग बंद, जाम, रूट डायवर्जन, कावड़ियों की भीड़, बारिश, आंधी इन सब वजहों से जब हम कभी लेट होते हैं तो इसमें हमारा क्या दोष है यह लिखकर ट्रेंड करा रहे हैं।
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