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कानपुर देहात– मुख्य अग्निशमन अधिकारी प्रतीक श्रीवास्तव ने आगामी दुर्गापूजा, दशहरा एवं दीपावली जैसे प्रमुख त्योहारों के दौरान अस्थाई पंडालों में अग्नि सुरक्षा हेतु अग्निशमन विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देशों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पंडालों में सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन करना अत्यंत आवश्यक है ताकि किसी भी तरह की अग्नि आपदा से लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
अस्थाई पंडाल की ऊँचाई कम से कम 3 मीटर रखी जानी चाहिए और सिंथेटिक कपड़े तथा रस्सियों का उपयोग न किया जाए। पंडाल के चारों ओर कम से कम 4.5 मीटर खुला स्थान होना चाहिए ताकि आपात स्थिति में लोग सुरक्षित बाहर निकल सकें। बिजली की लाइन के नीचे पंडाल न बनाया जाए। रेलवे लाइन, बिजली सब स्टेशन, चिमनी या भट्टियों से पंडाल की दूरी कम से कम 15 मीटर होनी चाहिए।
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उत्तर और बाहर निकलने वाले रास्तों के गेट कम से कम 5 मीटर चौड़े होने चाहिए। यदि रास्ता मेहराबदार होता है, तो उसकी ऊँचाई भी 5 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए। सड़क से पंडाल की दूरी अधिकतम 45 मीटर तक होनी चाहिए ताकि फायर सर्विस की गाड़ियाँ आपातकालिन स्थिति में आसानी से पहुँच सकें। बाहर निकलने के कम से कम दो रास्ते होने अनिवार्य हैं, जो विपरीत दिशा में हों ताकि आपदा के समय दोनों रास्तों का उपयोग किया जा सके।
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कुर्सियां किनारे से 1.2 मीटर की दूरी पर लगाई जाएं और प्रत्येक 12 कुर्सियों के बाद 1.5 मीटर का रास्ता छोड़ा जाए। कुर्सियों को 4-4 के समूह में लोहे की छड़ों से जमीन में बांधकर स्थिर किया जाए ताकि भगदड़ के समय कुर्सियां बाहर निकलने के मार्ग को अवरोधित न करें।
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बिजली की फिटिंग केवल लाइसेंसधारी ठेकेदारों से ही कराई जाए और तारों के जोड़ खुले न हों। पोर्सलीन कनेक्टरों का उपयोग किया जाना चाहिए। पंडाल में इमरजेंसी लाइट की व्यवस्था अनिवार्य है। विद्युत उपकरणों को पंडाल की दीवारों से कम से कम 15 सेमी की दूरी पर रखा जाए। हैलोजन लाइट का पंडाल या अस्थाई संरचना में प्रयोग बिल्कुल नहीं किया जाएगा।
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पंडाल के प्रत्येक 50 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के लिए कम से कम दो बाल्टियां पानी उपलब्ध होनी चाहिए और प्रति 100 वर्ग मीटर क्षेत्र के लिए 9 किलोग्राम क्षमता का एबीसी फायर एक्सटिंग्यूशर भी रखीं जाएं। विद्युत आग से निपटने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड या ड्राई केमिकल पाउडर एक्सटिंग्यूशर स्विच गेयर, मुख्य मीटर तथा स्टेज के पास रखे जाएं।
जहाँ तक संभव हो, पंडाल में न जलने वाले या अग्निरोधी पदार्थों का उपयोग किया जाए। जलनशील सामग्री का प्रयोग करने की स्थिति में उन्हें अग्निरोधक घोल में डुबोकर सुखाया जाए ताकि वे सुरक्षित रहें। अग्नि निरोधक घोल निम्नलिखित पदार्थों को मिलाकर बनाया जा सकता है।
पंडाल के अंदर किसी भी स्थिति में भट्टी का प्रयोग नहीं किया जाएगा। यदि अवश्यम्भावी हो तो पंडाल से अलग टिन शेड के अंतर्गत किया जाए। पानी और फायरिंग उपकरण अग्निशमन के अतिरिक्त किसी अन्य कार्य में उपयोग नहीं किए जाएं।
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