एक जनवरी 2022 को है विशेष दिन, भगवान शिव की पूजा का बना रहा है विशेष संयोग
पौराणिक मान्यता के अनुसार हर मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है. पंचांग के अनुसार इस बार 1 जनवरी 2022, शनिवार को पौष मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है.
शिव भक्ति टिप्स : 1 जनवरी 2022 से नए साल का शुभारंभ हो रहा है. साल के पहले ही दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष संयोग बनने जा रहा है. इस दिन क्या विशेष है, आइए जानते हैं.
मासिक शिवरात्रि कब है?
पौराणिक मान्यता के अनुसार हर मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है. पंचांग के अनुसार इस बार 1 जनवरी 2022, शनिवार को पौष मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है. इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र रहेगा.
पौष मास की पहली शिवरात्रि –
1 जनवरी 2022 को पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि पौष मास की पहली शिवरात्रि है. मासिक शिवरात्रि का पर्व भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पौष मास को भगवान शिव की पूजा के लिए उत्तम माना गया है. मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि पर पूजा करने से शिवजी बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं. और अपने भक्तों की बाधा, संकट और परेशानियों को दूर करते हैं. इस दिन माता पार्वती की पूजा का भी विशेष महत्व है.
1 जनवरी 2022, पंचांग
पंचांग के अनुसार चतुर्दशी की तिथि का आरंभ 1 जनवरी 2022 को प्रात: 7 बजकर 17 मिनट पर होगा. इसके बाद 2 जनवरी 2022, रविवार को प्रात: 3 बजकर 41 मिनट पर चतुर्दशी की तिथि का समापन होगा.
नए साल पर मासिक शिवरात्रि का पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार 01 जनवरी, शनिवार को मासिक शिवरात्रि का पूजा मुहूर्त का समय रात 11 बजकर 58 मिनट से देर रात 12 बजकर 52 मिनट तक है.
मासिक शिवरात्रि व्रत
इस दिन व्रत रखने का भी विधान है. शिव भक्त मासिक शिवरात्रि व्रत शुरू करना चाहते हैं, उन्हें पालन इसकी शुरुआत महाशिवरात्रि के दिन से करनी चाहिए और साल भर की मासिक शिवरात्रियों पर उपवास और पूजन कर सकते हैं. मान्यता है कि शिवजी की कृपा से मासिक शिवरात्रि व्रत रखने वाले के असंभव और कठिन से कठिन काम पूरे हो जाते हैं. कहा जाता है कि शिवरात्रि की रात श्रद्धालुओं को जागरण करना चाहिए और आधी रात के वक्त शिव पूजा करनी चाहिए. अविवाहित युवतियां विवाह के लिए मासिक शिवरात्रि व्रत रखती हैं जबकि विवाहितें शादीशुदा जीवन में शांति के लिए यह व्रत रखती हैं.
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