कानपुर, अमन यात्रा। शहर के मूल निवासी और वर्तमान में दिल्ली के मुनीरका में रहने वाले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कमेंटेटर व पद्मश्री रवि चतुर्वेदी ने 83 साल की उम्र में पीएचडी की है। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के 22 मार्च को होने वाले दीक्षा समारोह में उन्हें पीएचडी की उपाधि दी जाएगी। दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राणि विज्ञान विभाग में प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त हुए रवि ने क्रिकेट कमेंटेटर का सफर इसी शहर से शुरू किया। वर्ष 1961 में भारत और इंग्लैंड के बीच ग्रीन पार्क स्टेडियम में हुए टेस्ट मैच के दौरान वह उद्घोषक रहे हैं।

कानपुर के दिलीप नगर क्षेत्र के मूल निवासी अंतरराष्ट्रीय कमेंटेटर रवि चतुर्वेदी ने बताया कि उस जमाने में दो से तीन साल बाद टेस्ट मैच हुआ करते थे। वर्ष 1961 में पहली बार हिंदी में कमेंट्री हुई थी और वह भी कानपुर से। यह उनके लिए गर्व की बात थी कि इस कमेंट्री के लिए उन्हें चुना गया था। तब से लेकर अब तक वह हिंदी व अंग्रेजी में 112 टेस्ट मैच व 220 वन डे इंटरनेशनल मैच में कमेंट्री कर चुके हैं। उनके जीवन का दिलचस्प पहलू यह है कि प्रोफेसर तो वह प्राणि विज्ञान विभाग में थे, लेकिन क्रिकेट व शारीरिक शिक्षा विषय में शोध कार्य किया। बताया कि बचपन से उन्हें क्रिकेट का बेहद शौक था। कई सरकारी नौकरी भी इसके लिए छोड़ी।

दिल्ली विवि से प्राणि विज्ञान विषय में एमएमसी, अकादमी ऑफ साइंस चेकोस्लोवाकिया व विंडसर विवि कनाडा से डिप्लोमा करने के बाद दिल्ली विवि में शिक्षक हो गए। वर्ष 2002 में सेवानिवृत्त होने के बाद क्रिकेटर बिशन ङ्क्षसह बेदी की प्रेरणा से शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत ‘क्रिकेट के ज्ञात एवं अज्ञात पहलुओं’ विषय पर पीएचडी की। इसमें उन्होंने वेस्टइंडीज, इंग्लैंड, भारत व ऑस्ट्रेलिया इन चार देशों में हुए क्रिकेट पर विशेष अनुसंधान कार्य किया। ऐसे पहलुओं को सामने लाए जिनके बारे में खेल जगत नहीं जानता था।